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जीना सिखा दे तू…

गरिमा पंत 
लखनऊ(उत्तरप्रदेश)

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जीवन क्या है ? ये बता दे तू,
सारे गमों की दवा दे तू
हँसते-रोते कट जाती है ज़िन्दगी,
जिन्दगी को जीना सिखा दे तू।
धूप-छाँव में मिट गये जीवन के तजुर्बे,
साँस लेना सिखा दे तू
दौलत कमाना तो बहुत आसान है,
दूसरे के आँसू पोंछना सिखा दे तू।
जीना-मरना तो एक प्रक्रिया है,
मरने के बाद जीना सिखा दे तू
जाओ तो ऐसे जाओ कि लोग याद रखें,
नाम के लिए काम करना सिखा दे तू॥

ऐ जिंदगी,जीना सिखा दे तू…

परिचय-गरिमा पंत की जन्म तारीख-२६ अप्रैल १९७४ और जन्म स्थान देवरिया है। वर्तमान में लखनऊ में ही स्थाई निवास है। हिंदी-अंग्रेजी भाषा जानने वाली गरिमा पंत का संबंध उत्तर प्रदेश राज्य से है। शिक्षा-एम.बी.ए.और कार्यक्षेत्र-नौकरी(अध्यापिका)है। सामाजिक गतिविधि में सक्रिय गरिमा पंत की कई रचनाएँ समाचार पत्रों में छपी हैं। २००९ में किताब ‘स्वाति की बूंदें’ का प्रकाशन हुआ है। ब्लाग पर भी सक्रिय हैं।

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