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जिंदगी,खुश हो जाती है…

प्रीति शर्मा `असीम`
नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)
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‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा  विशेष………


जिंदगी छुट्टी के नाम से ही, खुश हो जाती है।

कितनी छुट्टियां आएंगी आगे,
यही सोच के
खुशी से काम पे जाती है।
जिंदगी छुट्टी के नाम से ही,
खुश हो जाती है।

स्कूल की छुट्टी से,
कैसे खुश हो जाते बच्चे
किस तरह भागते-दौड़ते बच्चे।

अपने-अपने काम से,
जब छुट्टी होती।
घर पर जाने की,
कितनी जल्दी होती।

पक्षी दाना चुग के,
शाम को लौटते हैं।
सब अपनी-अपनी,
छुट्टी को सोचते हैं।

और बड़े दिन की छुट्टी के,
तो क्या कहने…
खुश हो जाते हैं,
बच्चे या हों सयाने।

बड़े दिन की छुट्टी,
नानी का घर याद दिलाती है
एक बेटी को मायके में बुलाती हैl

बड़े दिन की छुट्टी में,
जब कहीं घूम आएं।
हम कितनी यादों की,
पोटली भर ले आएं।

हम बड़े दिन की छुट्टी में,
नीरसता को छोड़ आएं।
हम भरकर,
नया आत्मविश्वास
जिंदगी को,
उत्साह से जोड़ आएंl

हम बड़े दिन की छुट्टी में,
गमों को भुला कर
खुशियों से जोड़ आएंll

परिचय-प्रीति शर्मा का साहित्यिक उपनाम `असीम` हैl ३० सितम्बर १९७६ को हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर में अवतरित हुई प्रीति शर्मा का वर्तमान तथा स्थाई निवास नालागढ़(जिला सोलन,हिमाचल प्रदेश) हैl आपको हिन्दी,पंजाबी सहित अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हैl पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(कला),एम.ए.(अर्थशास्त्र,हिन्दी) एवं बी.एड. भी किया है। कार्यक्षेत्र में गृहिणी `असीम` सामाजिक कार्यों में भी सहयोग करती हैंl इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी,निबंध तथा लेख है।सयुंक्त संग्रह-`आखर कुंज` सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंl आपको लेखनी के लिए प्रंशसा-पत्र मिले हैंl सोशल मीडिया में भी सक्रिय प्रीति शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-प्रेरणार्थ हैl आपकी नजर में पसंदीदा हिन्दी लेखक-मैथिलीशरण गुप्त,जयशंकर प्रसाद,निराला,महादेवी वर्मा और पंत जी हैंl समस्त विश्व को प्रेरणापुंज
माननेवाली `असीम` के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“यह हमारी आत्मा की आवाज़ है। यह प्रेम है,श्रद्धा का भाव है कि हम हिंदी हैं। अपनी भाषा का सम्मान ही स्वयं का सम्मान है।”

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