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प्यार के दीपक जलाएं

जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
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आगमन नव वर्ष का हम प्यार के दीपक जलाएं।
घिर रहा जो हर दिशा में उस अँधेरे को मिटाएं॥

बादलों में रवि ढला है साँझ होने से भी पहले,
शीत नर्तन कर रहा है बर्फ के तू वार सह ले।
रोशनी के दीप लाकर बांध दें तम की बलाएं,
आगमन नव वर्ष का हम प्यार के दीपक जलाएं…॥

प्रेम के दीपक मधुर पल पल बिखेरें चाँदनी वो,
शब्द में से छंद निकले और गाएँ रागिनी वो।
भूमि से नभ को दिखाएँ चाँद जैसी सौ कलाएं,
आगमन नव वर्ष का प्यार के दोपक जलाएं…॥

गरल भरती दृष्टियों का तोड़ दें झूठा दिलासा,
अब निरर्थक मांग लेकर हो नहीं आगे तमाशा।
व्यर्थ मुद्दों पर नियोजित बंद हों आलोचनाएं,
आगमन नाव वर्ष का हम प्यार के दीपक जलाएं…॥

तोड़ दें हम धुंध कोहर से बनी दीवार सारी,
प्यार के संदेश से ही हार मानेगी कटारी।
सींच दीपों के उजाले जोड़ देवें श्रंखलाएं,
आगमन नव वर्ष का हम प्यार के दीपक जलाएं…॥

इस हमारी पहल से ही घट सुधा संधान होगी,
रोग के उपचार से स्वास्थ्य की पहचान होगी।
अक्षरों से शब्द बनते और सजती हैं कथाएं,
आगमन नव वर्ष का हम प्यार के दीपक जलाएं…॥

नील अंबर में समाई है बड़ी आकाश गंगा,
चाँद सूरज रश्मियों से आदमी का रूप चंगा।
धूम केतू की हमेशा टूटती जुड़ती शिलाएं,
आगमन नव वर्ष का हम प्यार के दीपक जलाएं…॥

है नमन उन दीपकों को सरहदों पर जो खड़े हैं,
मौत से होती लड़ाई काल के सम्मुख अड़े हैं।
देश के इन बांकुरों को स्वर्ण लिपियों में सजाएं,
आगमन नव वर्ष का हम प्यार के दीपक जलाएं…॥

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