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माता रानी

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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माता रानी अम्बिके,कर देना शुभ काज।
आए तेरे द्वार पर,रखना सबकी लाज॥
रखना सबकी लाज,शरण में आज तिहारे।
देखो हाहाकार,मचा है देश हमारे॥
कहे ‘विनायक राज’,करें क्या समझ न आता।
तुमसे है अब आस,बचा लो जग को माता॥

कहना मेरा मान लो,हे जगजननी मात।
जोत जलाऊँ आपकी,नव दिन अरु नवरात॥
नव दिन अरु नवरात,करूँ सेवा मैं माता।
तुम हो मेरी मात,तुम्हीं हो भाग्य विधाता॥
कहे विनायक राज,शरण अब तेरी रहना।
कृपा करो माँ आज,यही तुमसे है कहना॥

जग जननी भव तारणी,भव से करना पार।
जीवन नैया आ पड़ा,बीच भँवर मझधार॥
बीच भँवर मझधार,तुम्हीं अब पार लगाना।
काल खड़ा है द्वार, मातु हे हमें बचाना॥
कहे विनायक राज,दुखों की तुम हो हरनी।
विपदा में संसार,उबारो हे जग जननी॥

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