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माँ तुझे प्रणाम

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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माँ तुझे प्रणाम,माँ तेरी चरण वन्दना,
मेरी प्यारी माँ,तेरी महिमा का क्या कहना।

हमारी जन्मदाता,हे माता तुम्हीं तो हो माता,
मेरी प्यारी माँ तुम से बढ़कर नहीं है विधाता।

माँ तुम नहीं होती तो,मैं आज धरा पे नहीं होती,
हम सभी संतान आज माँ चरण तुम्हारे पूजती।

कितना कष्ट सहा होगा माँ,मैं दुनिया में आई थी,
हर कष्ट को झेल के आप,स्तनपान कराई थी।

नहीं भूलूंगी माँ मैं आपके,कष्टमयी उन नौ महीने को,
मुझे सम्भालने में कष्ट हुआ,तेरे बहते पसीने को।

माँ तेरा हरेक दर्द-कष्ट,सेवा करके मैं भुलाऊँगी,
लेकिन हे माता,दूध का कर्ज नहीं चुका पाऊँगी।

ओ मेरी प्यारी माँ बहुत सुन्दर नाम है तुम्हारा,
हम सभी बच्चों को बस,माँ तेरा ही है सहारा।

कंचन काया माँ तुमने बनाई और दुनिया दिखाई है,
देव धर्म का सभी ज्ञान,माँ तू ही तो मुझे सिखाई है।

कोटि-कोटि नमन माँ तुझको,तू ही मेरी विधाता है,
माताएं बहुत कष्ट सहती,इतिहास बस यही बताता है।

पावन धरती में सबसे बड़ा,नाम किसी का आता है,
सच्चाई सम्मुख लाई ‘देवन्ती’,नाम माँ का ही आता है॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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