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मेरे ज़रूरी काम

डॉ.चंद्रेश कुमार छतलानी 
उदयपुर (राजस्थान) 
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जिस रास्ते जाना नहीं,
हर राही से उस रास्ते के बारे में पूछता जाता हूँ।
मैं अपनी अहमियत ऐसे ही बढ़ाता हूँll

जिस घर का स्थापत्य पसंद नहीं,
उस घर के दरवाज़े की घंटी बजाता हूँ।
मैं अपनी अहमियत ऐसे ही बढ़ाता हूँll

कभी जो मैं करता हूँ वह बेहतरीन है,
वही कोई और करे-मूर्ख है-कह देता हूँ।
मैं अपनी अहमियत ऐसे ही बढ़ाता हूँll

मुझे गर्व है अपने पर और अपने ही साथियों पर,
कोई और हो उसे तो नीचा ही दिखाता हूँ।
मैं अपनी अहमियत ऐसे ही बढ़ाता हूँll

मेरे कदमों के निशां पे है जो चलता,
उसे अपने हाथ पकड़ कर चलाता हूँ।
मैं अपनी अहमियत ऐसे ही बढ़ाता हूँll

और

मेरे कदमों के निशां पे जो ना चलता,
उसकी मंज़िलों कभी खामोश,कभी चिल्लाता हूँ।
मैं अपनी अहमियत ऐसे ही बढ़ाता हूँll

मैं कौन हूँ ?
मैं मैं ही हूँ।
लेकिन `मैं-मैं` न करो,ऐसा दुनिया को बताता हूँ,
मैं अपनी अहमियत ऐसे ही बढ़ाता हूँll

परिचय-डॉ.चंद्रेश कुमार छतलानी का कार्यक्षेत्र उदयपुर (राजस्थान) स्थित विश्वविद्यालय में सहायक आचार्य (कम्प्यूटर विज्ञान)का है। इसी उदयपुर में आप बसे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-लघुकथा,कहानी, कविता,ग़ज़ल,गीत,लेख एवं पत्र है। लघुकथा पर आधारित ‘पड़ाव और पड़ताल’ के खंड २६ में लेखक, अविराम साहित्यिकी,लघुकथा अनवरत (साझा लघुकथा संग्रह),लाल चुटकी(साझा लघुकथा संग्रह), नयी सदी की धमक(साझा लघुकथा संग्रह),अपने-अपने क्षितिज (साझा लघुकथा संग्रह)और हिंदी जगत(न्यूयॉर्क द्वारा प्रकाशित)आपके नाम हैं। ऐसे ही विविध पत्र-पत्रिकाओं सहित कईं ऑनलाइन अंतरतानों पर भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। 

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