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मेरी कविता गीता बन जाएगी

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’
रोहतक (हरियाणा)
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मेरे नयनों का कोना आषाढ बनेगा,
मेरा हर आँसू भीषण बाढ़ बनेगा
उस दिन शोषण का मलबा बह जाएगा,
आह से अन्याय आवरण दह जाएगा।
रोया नहीं मैं अब तक कितनी घातों में,
सोया नहीं मैं अब तक कितनी रातों में
करुणा तप्त जल तड़पती एक मीन हूँ,
अंतरवेदना बाहर लाती एक बीन हूँ॥

जबसे देखा मानव सोते पथरीली परती पर,
उस दिन से मैं सोया करता हूँ धरती पर
जिस दिन मजदूर ने मुट्ठीभर अन्न फांका था,
जिस दिन करुणा का कड़वा आँसू चाखा था।
उस दिन से मैं सपने झुलाना भूल गया,
उस दिन से अंदाज पुराना भूल गया
उस दिन से मैं मुस्कराना भूल गया,
छुप कर रोया,औरों को दिखाना भूल गया॥

जब करुणा मेरी अलंकार नया बन जाएगी,
जब आह मेरी झंकार नई बन जाएगी
हर शब्द तलवार मेरा बन जाएगा,
हर आँसू पारावार मेरा बन जाएगा।
मेरे मरने पर जो भी पलकें उठाएंगे
आँखों में महाकाव्य लिखे मिल जाएंगे।
झुकी-बुझी नजरें भाषा पढ़ पाएगी,
उस दिन मेरी कविता गीता बन जाएगी॥

परिचय–डॉ.चंद्रदत्त शर्मा का साहित्यिक नाम `चंद्रकवि` हैl जन्मतारीख २२ अप्रैल १९७३ हैl आपकी शिक्षा-एम.फिल. तथा पी.एच.डी.(हिंदी) हैl इनका व्यवसाय यानी कार्य क्षेत्र हिंदी प्राध्यापक का हैl स्थाई पता-गांव ब्राह्मणवास जिला रोहतक (हरियाणा) हैl डॉ.शर्मा की रचनाएं यू-ट्यूब पर भी हैं तो १० पुस्तक प्रकाशन आपके नाम हैl कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचना प्रकाशित हुई हैंl आप रोहतक सहित अन्य में भी करीब २० साहित्यिक मंचों से जुड़े हुए हैंl इनको २३ प्रमुख पुरस्कार मिले हैं,जिसमें प्रज्ञा सम्मान,श्रीराम कृष्ण कला संगम, साहित्य सोम,सहित्य मित्र,सहित्यश्री,समाज सारथी राष्ट्रीय स्तर सम्मान और लघुकथा अनुसन्धान पुरस्कार आदि हैl आप ९ अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में शामिल हो चुके हैं। हिसार दूरदर्शन पर रचनाओं का प्रसारण हो चुका है तो आपने ६० साहित्यकारों को सम्मानित भी किया है। इसके अलावा १० बार रक्तदान कर चुके हैं।

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