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मेरा राम…

ऋतुराज धतरावदा
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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मेरा राम
बंद नहीं है किसी मंदिर में,
ना ही नजर आता है
वह किसी नारे में,
इन दिनों जब देखता हूँ अस्पतालों में…
या सड़क पर दौड़ती एम्बुलेंस में,
तेजी से गुजरती ऑक्सीजन वेन में
राशन से भरी गाड़ियों में,
हाई-वे पर पानी और खाने के पंडालों में।
कभी डॉक्टर-कभी सेवक,
कभी वाहन चालक-कभी दूधवाला
कभी सब्जी और फल वाले में,
हाँ,मेरा राम इन दिनों ऐसे ही नजर आता है
हड़बड़ाया-सा..घबराया-सा…परेशान-सा।
चिंतित-सा,पर वह ना-उम्मीद नहीं है,
मेरा राम लगा है मानवता बचाने में॥

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