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विभिन्न भाषाओं को जोड़ती है नागरी लिपि- गंगाप्रसाद उप्रेती

नागरी लिपि सम्मेलन…..

नारनौल(हरियाणा)।

नागरी लिपि विश्व की सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक लिपि तो है ही,यह विभिन्न भाषाओं को भी आपस में जोड़ती है।
यह कहना है नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान (काठमांडू) के कुलपति गंगाप्रसाद उप्रेती का। मनुमुक्त ‘मानव’ मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित ‘अंतरराष्ट्रीय ई-नागरी लिपि सम्मेलन’ में बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि संस्कृत,हिंदी,नेपाली,मैथिली,मराठी व भोजपुरी आदि अनेक भाषाओं को देवनागरी लिपि एकता के सूत्र में पिरो देती है,जिससे इन्हें समझना सरल हो जाता है।
हिंदी साहित्य अकादमी,मोका (मॉरीशस) के अध्यक्ष डॉ. हेमराज सुंदर और हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन,एम्स्टर्डम (नीदरलैंड) की अध्यक्ष डॉ. पुष्पिता अवस्थी ने नागरी को विश्वलिपि बताते हुए कहा कि देवनागरी भारत की अनेक भाषाओं और बोलियों की ही लिपि नहीं है,बल्कि नेपाली(नेपाल) ,फिजी(फीजीबात)और सरनामी (सूरीनाम) आदि भाषाओं की भी लिपि है तथा अनेक देशों में बसे करोड़ों प्रवासी भारतीय और भारतवंशी विभिन्न भाषाओं को इसके माध्यम से लिख और पढ़ रहे हैं।
नागरी लिपि परिषद्(नई दिल्ली) के अध्यक्ष और पूर्व कुलपति डॉ. प्रेमचंद पतंजलि ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि,इंटरनेट आदि साधनों के माध्यम से भी नागरी लिपि को प्रतिष्ठित करने का प्रयास किया जाएगा।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद्,नारनौल के अध्यक्ष डॉ. जितेंद्र भारद्वाज द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना-गीत के उपरांत मुख्य न्यासी डॉ. रामनिवास ‘मानव’ के प्रेरक सान्निध्य तथा डॉ. पंकज गौड़ के कुशल संचालन में इस सम्मेलन में कोलम्बो (श्रीलंका) के डॉ. लक्ष्मण सेनेविराठने,ऑकलैंड (न्यूजीलैंड) के रोहितकुमार ‘हैप्पी’,कोलोन (जर्मनी) की डॉ. शिप्रा शिल्पी,पालम (दिल्ली) के डॉ. हरिसिंह पाल और अहमदनगर (महाराष्ट्र) के डॉ. शहाबुद्दीन शेख ने विशिष्ट अतिथि वक्ता के रूप में सहभागिता की। सभी ने नागरी लिपि के स्वरूप,विकास,महत्व और प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमें हिंदी को जनभाषा बनाने से पूर्व मनभाषा बनाना पड़ेगा,क्योंकि हिंदी जब मनभाषा बनेगी,तो उसकी लिपि देवनागरी स्वत: ही प्रतिष्ठित हो जाएगी।
समारोह के प्रारंभ में डॉ. रामनिवास ‘मानव’ ने विषय-प्रवर्तन करते हुए नागरी लिपि को कम्प्यूटर के उपयुक्त बनाने का आह्वान किया।
केन्द्रीय हिंदी निदेशालय(नई दिल्ली)के सहायक निदेशक डॉ.दीपक पांडेय की अध्यक्षता और सिंघानिया विश्वविद्यालय (राजस्थान) के कुलपति डॉ.उमाशंकर यादव के मुख्य आतिथ्य में ‘कविता-कुंभ’ के रूप में द्वितीय सत्र में सोफिया विवि (बल्गारिया) की प्रो. डॉ. मोना कौशिक और हिंदी राइटर्स गिल्ड(कनाडा) की निदेशक डॉ. शैलजा सक्सेना विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। इस अवसर पर तेजप्रताप खेदू,प्रिया शुक्ला,डॉ. कमला सिंह एवं डॉ. अमिला दमयंती आदि विश्व-भर के अनेक प्रतिष्ठित कवियों-कवियित्रियों ने काव्य-पाठ किया।
इस सम्मेलन में न्यासी डॉ. कांता भारती, विश्व बैंक वाशिंगटन डीसी (अमरीका) की अर्थशास्त्री डॉ. एस अनुकृति,प्रो. खगेंद्रनाथ बियोगी,डॉ. कृष्णकुमार झा,डॉ. प्रदीप सिंह,डॉ. सुशीला आर्य,डॉ. पूर्णमल गौड़,डॉ. पुष्करराज भट्ट,मृत्युंजयप्रसाद गुप्ता सहित डॉ. सुरेश माहेश्वरी एवं डॉ. ऋतु माथुर आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

(सौजन्य: वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुम्बई)

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