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अहिंसा जिनका मजबूत अस्त्र

गोपाल चन्द्र मुखर्जी
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)गांधी जयंती विशेष…………..
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गांधी जयंती विशेष…………..

छोटी धोती,हाथ में लाठी,
आँख में लगे चश्मा गोल
खट-खटाकर दौड़ता है वो,
पहने है सिर्फ चप्पलl
छोटे कद का इंसान वो,
जानता है क्या जादू,वह जाने
पीछे उनके लगे तांता इंसानों का,
लेकर तिरंगा सब कहते बापूजीl
अहिंसा जिनका मजबूत अस्त्र,
मिथ्या नहीं चलेगा
मनुष्य की सेवा ही महत व्रत,
विचार नहीं है जात-पात काl
घुमाया चरखा,बनाओ धागा,
लगाओ कात खादी की
अपने मान को स्वयं बचाओ,
हाथ नहीं फ़ैलाओ कहीं भीl
अन्याय के विरोध में,
जब बैठते हैं अनशन में
अंग्रेज सरकार खलबलाकर,
भेजती रही कालापानी मेंl
परिवेश की साफ-सफाई,
चिंता लगी सर्वदा
कहते थे आप लगाओ झाड़ू,
नहीं घटेगा मान-मर्यादाl
नमक आंदोलन,सत्याग्रह,
क्या नहीं किए हैं पदयात्रा से
क्विट इंडिया जैसी सिंह गर्जन से,
देशभर में स्वतंत्रता के आग जलेl
मना रहा है देश उत्सव स्वतन्त्रता का,
तब फैली आग बंटवारे के दंगे की
व्यथित हृदय से क्रंदन आपका,
किसी को नहीं रहा इस बात का पताl
राजनीति की कुटिल चालों से,
दुखी हुए आप अंतर से
जाति के जनक बने आप जब,
रक्तत्व होकर गिरे जमीन पर तबl
अमर कीर्ति को रखकर आप,
समय पूर्व में
हे राम कह कर चले गए,
महाकाल की गोद मेंll

परिचय-गोपाल चन्द्र मुखर्जी का बसेरा जिला -बिलासपुर (छत्तीसगढ़)में है। आपका जन्म २ जून १९५४ को कोलकाता में हुआ है। स्थाई रुप से छत्तीसगढ़ में ही निवासरत श्री मुखर्जी को बंगला,हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। पूर्णतः शिक्षित गोपाल जी का कार्यक्षेत्र-नागरिकों के हित में विभिन्न मुद्दों पर समाजसेवा है,जबकि सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत सामाजिक उन्नयन में सक्रियता हैं। लेखन विधा आलेख व कविता है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में साहित्य के क्षेत्र में ‘साहित्य श्री’ सम्मान,सेरा (श्रेष्ठ) साहित्यिक सम्मान,जातीय कवि परिषद(ढाका) से २ बार सेरा सम्मान प्राप्त हुआ है। इसके अलावा देश-विदेश की विभिन्न संस्थाओं से प्रशस्ति-पत्र एवं सम्मान और छग शासन से २०१६ में गणतंत्र दिवस पर उत्कृष्ट समाज सेवा मूलक कार्यों के लिए प्रशस्ति-पत्र एवं सम्मान मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज और भविष्य की पीढ़ी को देश की उन विभूतियों से अवगत कराना है,जिन्होंने देश या समाज के लिए कीर्ति प्राप्त की है। मुंशी प्रेमचंद को पसंदीदा हिन्दी लेखक और उत्साह को ही प्रेरणापुंज मानने वाले श्री मुखर्जी के देश व हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा एक बेहद सहजबोध,सरल एवं सर्वजन प्रिय भाषा है। अंग्रेज शासन के पूर्व से ही बंगाल में भी हिंदी भाषा का आदर है। सम्पूर्ण देश में अधिक बोलने एवं समझने वाली भाषा हिंदी है, जिसे सम्मान और अधिक प्रचारित करना सबकी जिम्मेवारी है।” आपका जीवन लक्ष्य-सामाजिक उन्नयन है।

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