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अब और…नहीं

प्रीति शर्मा `असीम`
नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)
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सिमटी-सिमटी जिंदगी में बसर,
अब और नहीं…अब और नहीं।

ठहरी-ठहरी राहों का सफ़र,
अब और नहीं…अब और नहीं।

बांध ले अपनी हिम्मत को,तिल-तिल मरना,
अब और नहीं…अब और नहीं।

सिमटी-सिमटी राहों में बसर,
अब और नहीं…अब और नहीं।

आशाओं के दीए जला ले,निराशा को दूर भगा ले,
अब और नहीं…अब और नहीं।

वक्त बदलेगा,बदलना होगा…वक्त को।
अब और नहीं…अब और नहीं।

जीवन का क्रूर प्रहास,
अब और नहीं …अब और नहीं।

तुम अकेले नहीं,साथ यह धरा-गगन हैं,
अब और नहीं…अब और नहीं।

मिलेगी हर…राह पर मंजिलें,किस राह पर चलूं….यह सोचना,
अब और नहीं…अब और नहीं।

तुझको अपने हाथों से बदलनी है किस्मत अपनी,
अब और नहीं…अब और नहीं।

बदलेगी…यह लकीरें,इस इंतजार में गुजर
अब और नहीं…अब और नहीं।

गमों से भरी,जिंदगी में कल्पनाओं के भंवर,
अब और नहीं…अब और नहीं।

जिंदगी को जीना है…झेलना तो नहीं,
अब और नहीं…अब और नहीं।

जिंदगी से टकराव,धर्मों की जकड़,
अब और नहीं…अब और नहीं।

परम सत्य है जो,उस सत्य को पाना है,
अब और नहीं…अब और नहीं।

अपनी राहें तुम बनाओ खुद,खोखले आदर्शों का चलन,
अब और नहीं…अब और नहीं॥

परिचय-प्रीति शर्मा का साहित्यिक उपनाम `असीम` हैL ३० सितम्बर १९७६ को हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर में अवतरित हुई प्रीति शर्मा का वर्तमान तथा स्थाई निवास नालागढ़(जिला सोलन,हिमाचल प्रदेश) हैL आपको हिन्दी,पंजाबी सहित अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हैL पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(कला),एम.ए.(अर्थशास्त्र,हिन्दी) एवं बी.एड. भी किया है। कार्यक्षेत्र में गृहिणी `असीम` सामाजिक कार्यों में भी सहयोग करती हैंL इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी,निबंध तथा लेख है।सयुंक्त संग्रह-`आखर कुंज` सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL आपको लेखनी के लिए प्रंशसा-पत्र मिले हैंL सोशल मीडिया में भी सक्रिय प्रीति शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-प्रेरणार्थ हैL आपकी नजर में पसंदीदा हिन्दी लेखक-मैथिलीशरण गुप्त,जयशंकर प्रसाद,निराला,महादेवी वर्मा और पंत जी हैंL समस्त विश्व को प्रेरणापुंज माननेवाली `असीम` के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“यह हमारी आत्मा की आवाज़ है। यह प्रेम है,श्रद्धा का भाव है कि हम हिंदी हैं। अपनी भाषा का सम्मान ही स्वयं का सम्मान है।”

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