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फाग

सुबोध कुमार शर्मा 
शेरकोट(उत्तराखण्ड)

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राकेश-रश्मियों ने भोर को सजा दिया,
दिनकर ने आकर स्वर्णिम रंग लूटा दिया,
चहुँ ओर खग-कलरव संगीत बन गूँज रहा-
मधुरिम प्रकृति ने सुखद फाग गा दिया।

चम्पा,चमेली,सरसों,टेसू ने रंग भर दिया,
बाल,युवा वृद्ध वृन्द सबका विभोर जिया,
अमुआ का बोर आ नव नव राग लेकर-
कोयल-संगीत ने मंत्रमुग्ध कर दिया।

चहुँओर शीत बयार,मची हुई हाहाकार,
कैसे कोई काम करे जिंदगी बनी जैसे भार,
हिम शिखरों पर रजत स्वर्ण की छाई छटा-
मलयानिल लहराती मंद-मंद चले बयार।

परिचय – सुबोध कुमार शर्मा का साहित्यिक उपनाम-सुबोध है। शेरकोट बिजनौर में १ जनवरी १९५४ में जन्मे हैं। वर्तमान और स्थाई निवास शेरकोटी गदरपुर ऊधमसिंह नगर उत्तराखण्ड है। आपकी शिक्षा एम.ए.(हिंदी-अँग्रेजी)है।  महाविद्यालय में बतौर अँग्रेजी प्रवक्ता आपका कार्यक्षेत्र है। आप साहित्यिक गतिविधि के अन्तर्गत कुछ साहित्यिक संस्थाओं के संरक्षक हैं,साथ ही काव्य गोष्ठी व कवि सम्मेलन कराते हैं। इनकी  लेखन विधा गीत एवं ग़ज़ल है। आपको काव्य प्रतिभा सम्मान व अन्य मिले हैं। श्री शर्मा के लेखन का उद्देश्य-साहित्यिक अभिरुचि है। आपके लिए प्रेरणा पुंज पूज्य पिताश्री हैं।

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