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राम जी-केवट प्रसंग

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

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राज पाट महल सभी त्यागा,
मानी पिता बनवास आज्ञा
संग सीता व लक्ष्मण भ्राता,
अदभुत यही राम की गाथा।
विचरे जंगल तीनों संगा,
आए वाराणसी तट गँगा
कैसे पार होई किनारा,
दिखा केवट नाविक सहारा।
राम ने केवट को बुलाया,
गँगा पार प्रयोजन बताया
कहा तुम अपनी नाव लाओ,
हमको गँगा पार करवाओ।
हाथ जोड़ केवट कहे,प्रभु करो मुझे माफ,
नैया में बैठाऊँगा,यह पग धो कर करूँ साफ॥

आपकी चरणन धूल न्यारी,
छूकर पाषाण,भयी नारी
काठ की नैया बनी नारी,
आय मुझ पर मुसीबत भारी।
क्रोधित होके लखन ने कहा,
नाविक तुझे दूंगा मैं सजा
पर श्री राम सुन मुस्कराये,
कर लो केवट जो तुम भाये।
सिय,राम,लखन चरण पखारे,
खुद केवट भाग्य संवारे
राम चरणामृत किया पाना,
राम केवट को भक्त माना।
अति प्रसन्न हुई गँगा देवी,
राम चरण की सेवा कर दी।
पाकर पुण्य केवट यह,लिया उनको बिठाय,
यह जीवन करके सफल,गँगा पार कराय॥

राम जी केवट को सराहें,
पारिश्रमिक देना चाहें
केवट ने फिर शीश नवाया,
दोनों का एक काम बताया।
केवट गँगा पार कराये,
प्रभु भवसागर पार लगाये
दोऊ का काज,पार कराना,
फिर काहे का लेना-देना।
राम जी बहुत हर्षित हुए,भक्त को आशीर्वाद दिए,
राम-केवट की ये अमिट कथा,राम करो ‘देवेश’ पर कृपा॥

परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

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