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मिलकर दीप जलाएं

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

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दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष…..

राम संग सिय आ गए,लखन हनुमंत साथ
अवध नगर कृतार्थ हुआ,खत्म हुआ वनवास।
खत्म हुआ वनवास,रावण-राक्षस को मारा,
जग का कर कल्याण,राम-राज बना न्यारा।
दीवाली के त्यौहार पर,दीपों से सजते धाम,
दीपोत्सव पर आज,सब बोलो जय श्री राम।
दीप तिमिर को जब हरे,जग में हुआ प्रकाश,
काली यह रातें मिटें,पुनः जीवन की आस।
पुनः जीवन की आस,मन आलोक भर जाता,
दीपों का ये त्यौहार,बहुत खुशियाँ है लाता।
दीवाली पर माँ लक्ष्मी जी का,करें पूजन ध्यान,
बिन मांगे दौलत मिले,सब दुखों का हो निदान।
श्रद्धा,प्रेम,भक्ति सहित,मांगे आप आशीर्वाद,
छोटे-बड़े सभी मिलकर,दीपावली मनाएं साथ।
कह ‘संजय देवेश’,सुंदर दीप मालाएं सजाएं,
दीवाली की रात आओ,मिलकर दीप जलाएं॥

परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

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