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जीवट वाले दलित महानायक थे रामविलास पासवान

ललित गर्ग
दिल्ली

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बिहार की राजनीति में चमत्कार घटित करने वाले भारतीय दलित राजनीति के शीर्ष नेता एवं केन्द्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान का निधन भारतीय राजनीति की एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी की वर्ष २००० में स्थापना की एवं संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से उनका राजनीतिक सफर शुरु हुआ। वे अकेले ऐसे राजनीतिक व्यक्तित्व थे,जिन्हें अनेक प्रधानमंत्रियों के साथ काम करने का मौका मिला और २ बार लोकसभा में सदन के नेता भी रहे। उन्होंने दलितों से लेकर सर्वहारा वर्ग के लिए हमेशा आगे बढ़कर कर्मयोद्धा की भांति लड़ाई लड़ी। १९६९ से राजनीतिक सफर शुरु करने वाले रामविलास पासवान ने जेपी आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और तेजतर्रार समाजवादी के रूप में उभरे। वे वंचित वर्गों की आवाज मुखर करने वाले तथा हाशिए के लोगों के लिए सतत संघर्षरत रहने वाले जनसेवक थे। हम उनके निधन को राजनीति में न केवल दलितों-वंचितों के उन्नायक महानायक की,बल्कि उच्च चारित्रिक एवं नैतिक मूल्यों के एक युग की समाप्ति कह सकते हैं।
बिहार में कभी बड़ी ताकत नहीं बन पाए पासवान ने दिल्ली की राजनीति में खुद को एक ताकत बनाए रखा और ३ दशकों तक विभिन्न प्रधानमंत्रियों की जरूरत बने रहे। विश्वनाथ प्रताप सिंह,एच डी देवगौड़ा, इंद्रकुमार गुजराल,अटल बिहारी वाजपेयी, डॉ.मनमोहन सिंह और अब नरेंद्र मोदी की सरकारों में भी अहम पदों पर रहे। भारतीय राजनीति के इस जुझारू एवं जीवट वाले नेता ने राजनीति में कर्मयोगी की भांति जीवन जीया। यह सच है कि,वे बिहार के थे यह भी सच है कि वे लोजपा के थे,किन्तु वे राष्ट्र के थे। देश की वर्तमान राजनीति में वे दुर्लभ एवं संवेदनशील व्यक्तित्व थे। इस राजनेता के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की अनेक विशेषताएं थीl वे उदात्त संस्कार,लोकजीवन से इतनी निकटता,इतनी सादगी-सरलता, इतना धर्म-संस्कृति प्रेम और इतनी सच्चाई ने उनके व्यक्तित्व को ऊँचा बना दिया था। उनका निधन एक राष्ट्रवादी सोच की राजनीति एवं सर्वहारा वर्ग के मसीहा का अंत है।
बिहार में जैन तीर्थंकरों की कल्याण भूमि को लेकर उनके मन में बड़ी योजना थी। बिहार के जैन तीर्थंकरों के सरोकारों,संस्कृति और इतिहास से जुड़ा शायद ही कोई पहलू ऐसा रहा हो जो उनके दिलों की धड़कन में न धड़कता रहा हो। उनकी गिनती बिहार की मिट्टी से जुड़े कद्दावर नेताओं में थी,और सभी दलों के साथ अच्छे संबंध थे।
रामविलास पासवान बहुत ही जुझारू नेता थे,सभी के प्रति उनका भाव हमेशा सृजनात्मक रहा,यही उन्हें दूसरों से हमेशा अलग बनाता रहा। उनका रूख हमेशा सकारात्मक राजनीति के प्रति रहता था। उनके सुझाव इतने गंभीर होते थे कि हर किसी का ध्यान खींचते थे। वे राजनीति से एक कदम आगे विकास की दिशा में बढ़ने के लिए सुझाव देते थे। वह एनडीए गठबंधन के सहयोगी ही नहीं,बल्कि उसकी सफलता के मुख्य सूत्रधार थे। वे गठबंधन की राजनीति के अहम किरदार रहे।
छात्र राजनीति में सक्रिय रहे रामविलास पासवान बिहार पुलिस की नौकरी छोड़कर सक्रिय राजनीति के मैदान में उतरे। उन्होंने कांशीराम और मायावती की लोकप्रियता के दौर में भी बिहार के दलितों के मजबूत नेता के तौर पर अपनी स्वतंत्र और मजबूत पहचान बनाई। उन्होंने हमेशा अच्छे मकसद के लिए काम किया। इस तरह उन्होंने अपने जीवन को एक नया आयाम दिया और जनता के दिलों पर छाए रहे।

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