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संबंध बनाम दूरी

तृप्ति तोमर `तृष्णा`
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष………..


संबंध और दूरी का परिचायक है रिश्ता,
मीठी,सौम्यता का सुदृढ़ रूप है नाता।

सबंध लाते बिखरे रिश्तों को पास,
दूरी दिलाती अपनों को अपनेपन का एहसास।

संबंध है कई वर्षों का समर्पण,
दूरी है हमारी गलतियों का दर्पण।

संबंध से लगता मीठा खारा-सा कुंभ मेला,
संबंध में रहें तो महफ़िल-सा,दूरी में होता अकेला।

मधुर व्यवहार है संबंध का आवरण,
और दूरी का भविष्य ही है झरण।

संबंध का अस्तित्व है जीवन भर,
दूरी का व्यक्तित्व है क्षणभंगुर।

संबंध की लालसा होती हार कर भी जीत,
और दूरी की अभिलाषा खात्मा,हराना ही है जीत।

संबंध है दूध में घुली मिश्री की स्थिति,
दूरी है पानी पर एक छोटी-सी तेल की उपस्थिति॥

परिचय-तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं।यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। आपका  साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि २० जून १९८६ एवं जन्म स्थान-विदिशा(म.प्र.) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। एम.ए. और  पीजीडीसीए शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। आप अधिकतर गीत लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है। 

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