राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड)
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चलो चलें हम काम करें,
काम करें और काम करें।
कभी ना हम विराम करें,
जग में रह कुछ नाम करें॥
पढ़-लिख हम बढ़ेंगे आगे,
जोड़ेंगे हम प्रगति के धागे।
मन में मेरे मनुष्यता जागे,
संस्कृति हमसे दूर न भागे॥
भाग्य-सी बात ना करें हम,
कर्म को साथ ले चलें हम।
कदम-दर-कदम बढ़े कदम,
लक्ष्य पूर्व ना रोकेंगे कदम॥
आज प्रगति की इस दौड़ में,
बढ़ने लगा है लोगों में स्वार्थ।
आगे बढ़ने की इस होड़ में,
घटने लगा है अब परमार्थ॥
आओ चलें हम काम करें एक,
संस्कार पढ़ें और बनें हम नेक।
अधिकारों का भोग करे प्रत्येक,
पर छोड़े ना कभी सत्य की टेक॥
नाम के लिए ही हम काम करें,
पर समय व्यर्थ नहीं हराम करें।
धन-वैभव का भी इंतजाम करें,
सदैव मानवता का सम्मान करें॥
परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।