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भारत के सैनिकों को नमन

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

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देश की सीमाएं नहीं बनती हैं कागज पर लकीरों… से
ये तो बनती आयी है फौजियों की ही श्मशीरों से,
हमारे सैनिक हैं प्रहरी,हमारे देश की सीमाओं के
भारत है सुरक्षित-अखंड,अपने लाड़ले वीरों से।

अपने प्राणों की दे देते हैं आहुति माँ के चरणों में
जीना-मरना है देश की खातिर रहता है वचनों में,
अजर-अमर हैं ये सभी,भारत माता के लाड़ले
क्या अदभुत शौर्य गाथाएं इनकी गूंज है रणों में।

देश की सुरक्षा में चौकस हर क्षण और हर पल
कहाँ बचेगा दुश्मन इनसे इनका है नभ-जल-थल,
कठिनतम हालातों में भी इनके हैं हौंसले बुलंद
सम्भाला है आज हमारा,ताकि सुरक्षित हो कल।

सागर की लहरों को भी चीर डालते हैं ये जांबाज
आवाज से भी तेज आसमां में उडने वालों शाबास,
नदियों,पहाड़ों,मरुस्थलों सभी से करते हैं सामना
हर कदम बढ़े सैनिक का,वंदे मातरम है आवाज।

युद्ध में तो पूरे विश्व में,इनका ना कोई सानी है
कैसी भी हो विपदाएं सबने इनकी सेवा मानी है,
बाहरी हो या आंतरिक हर सुरक्षा इनका जिम्मा
भारत का हर सैनिक वीर बहादुर अभिमानी है।

भारत की तीनों फौजों के हर सैनिक को नमन,
देश आजाद रहेगा आजाद इन वीरों का अभिनन्दनl
फूल की ही नहीं अभिलाषा इनके पथ पर गिरने की,

हर भारतीय इस पथ की धूल समझता है चंदनll

परिचयसंजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी  विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

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