कुल पृष्ठ दर्शन : 190

You are currently viewing सरस्वती सुखदे शुभे

सरस्वती सुखदे शुभे

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

******************************************

वसंत पंचमी स्पर्धा विशेष …..

रूप प्रकृति मधु माधवी,किसलय पद्म पराग।
सुखद चारु समरस मधुर,वासन्तिक अनुराग॥

पूजन वसन्त पंचमी,हो मंगल शुभकाम।
ज्ञान बुद्धि पौरुष सुयश,सारस्वत सुखधाम॥

वीणा निनादिनि वर दे,मानवता कल्याण।
नीति प्रीति पुरुषार्थ पथ,हो आपद जग त्राण॥

शुभ्रे शारद शारदे,श्वेतपद्म आसीन।
हंस वाहिनी सर्वदे,हरो तिमिर श्रीहीन॥

सादर पूजन नमन मैं,करुँ आरती अम्ब।
श्वेताम्बुज अर्पण करूँ,हो प्रसीद जगदम्ब॥

ब्रह्माणी रम्ये शुभे,हरो जगत दु:ख पाप।
मिथ्या मानस छल कपट,लोभ क्रोध अभिशाप॥

लोक मंगले ज्ञान दे,मति विवेक विज्ञान।
वासन्तिक शीतल मुदित,धवल कीर्ति सम्मान॥

सरस्वती सुखदे शुभे,चन्द्रवदन शुभहास।
दो सम्मति जगदम्बिके,बने मनुज मृदुभास॥

वासन्तिक अरुणाभ दे,राष्ट्र भक्ति दे अम्ब।
परहित जीवन दूँ वतन,जननी तू अवलम्ब॥

बहे प्रेम सरिता जगत,शीतल विमल समीर।
वसुधा ही परिवार मन,वर दे होऊँ धीर॥

हिंसा मद अभिशाप से,मुक्ति करो संसार।
स्वार्थ व्याधि पातक मनुज,हरो मातु गद्दार॥

वर दे वाणी मंगले,भगवति दे उपहार।
शान्ति प्रगति मुस्कान से,खिले चमन सुखसार॥

ममता करुणा रूपिणी,पूर्ण करो सत्काम।
सन्निधि दे परमेश्वरी,रहूँ सुपथ अविराम॥

‘कोरोना’ से त्राण दे,रोगमुक्त आनन्द।
फिर ‘निकुंज’ पिक काकिली,गूंजे अलि मकरन्द॥

शुभ्र विलासिनी भारती,गाओ वीणा नाद।
कलित ललित जयगान से,भारत कर आबाद॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥

Leave a Reply