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हर कर्तव्य का बोध होना आवश्यक

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)

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बोध होना अति उत्तम है,परंतु बोध क्या होना चाहिए ? वह सृष्टि की संरचनाकर्ता अर्थात ईश्वर के उपरांत सभ्य समाज को गहनता से विचार करते हुए अज्ञानियों को विस्तारपूर्वक समझाना चाहिए।
विशेषकर माँ-बाप को अपनी संतान के प्रति जागरूक होने का बोध होना चाहिए। माँ की ममता और बाप के प्यार के साथ-साथ उन्हें बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए कठोरता का भी बोध होना चाहिए। चूंकि,सर्वप्रथम अपने बच्चों को उंगली पकड़कर चलना वही सिखाते हैं,इसलिए उन्हीं पर बच्चों को शांति में पसीना बहाना और समय आने पर राष्ट्र की रक्षा के लिए रक्त बहाने की शिक्षा का बोध सिखाने का दायित्व होता है। सभी भाई-बंधुओं को बंधुत्व का बोध होना चाहिए। मित्रों को मित्रता की कसौटी पर खरा उतरने का बोध होना चाहिए। बच्चों को माँ-बाप के चरित्र-चित्रण और माँ-बाप को बच्चों के प्रति चरित्र-चित्रण चरितार्थ करने का साहस और बोध होना चाहिए।
इसके अलावा सामाजिक धर्म-कर्म के साथ-साथ प्रत्येक मानव को राष्ट्र के प्रति सतर्कता और अपनी संस्कृति व सभ्यता का बोध होने एवं उसके प्रचार-प्रसार के लिए वचनबद्ध होने का भी बोध होना चाहिए। यही नहीं,बल्कि राजा को प्रजा और प्रजा को राजा के प्रति समर्पित होने के साथ कर्त्तव्यनिष्ठ होने का भी बोध होना चाहिए।
उपरोक्त बोधों के बोध का जो मानव पालन करने की क्षमता और योग्यता रखते हैं,सही अर्थों में वही मानव कहलाने के योग्य होते हैं। अन्यथा विश्व जानता है कि जीवित रहने के बोध से पेट भरने का बोध जानवरों को भी होता है।

परिचय–इंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैL इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैL वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैL राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि हैL कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंL सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंL आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैL प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंL कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंL अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैL प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।

 

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