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सुरक्षा-शान्ति-समृद्धि के लिए युद्ध आवश्यक

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)

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जी हाँ,समृद्धि शान्ति से ही सम्भव है और शान्ति के लिए युद्ध आवश्यक है,जिसका इतिहास ही नहीं बल्कि धार्मिक ग्रंथ भी साक्षी है। जैसे त्रेता युग में श्री राम जी शान्ति से अपना वनवास काटना चाहते थे,किन्तु १६कला सम्पन्न महापंडित राजा रावण माता सीता का हरण कर शान्ति भंग कर गया।उसके कारण युद्ध हुआ और श्रीलंका भारत का भू-भाग बना, जो समृद्धि का चिन्ह है।

अब द्वापर युग की बात करें तो पांडव शान्ति से मात्र पांच गांव कौरवों से मांग रहे थे,परंतु उन्होंने नहीं दिए,जबकि श्रीकृष्ण जी शान्ति दूत भी बने,पर कौरव नहीं माने थे। युद्ध से पहले अर्जुन द्वारा युद्ध से इन्कार करने पर श्रीकृष्ण जी द्वारा ईश्वरीय स्वरूप में गीता का उपदेश दिया गया,जिसका समृद्धि के रूप में सृजन हुआ। यह आज भी व्याकुल मन की शान्ति का प्रतीक है।

भारत द्वारा निरन्तर शान्ति का राग अलापने पर पड़ोसी देश चीन ने १९६२ में आक्रमण कर शिक्षा दी थी,जिससे भारत की समृद्धि सम्भव हुई। इसके आधार पर १९६५,१९७१ एवं कारगिल युद्ध में विजयी होकर भारत ने विश्व में अपना तिरंगा झंडा ऊंचा लहराया था। फलस्वरूप विश्व के सर्वशक्तिमान राष्ट्र अमरीका के राष्ट्रपति ट्रम्प आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समीप आने को तरस रहे हैं। यह इस समृद्धि के स्पष्ट संकेत हैं कि भारत सर्वशक्तिमान राष्ट्र बनने की दौड़ में अग्रसर है।

परिचय-इंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैl इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैl वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैl राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि हैl कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंl आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैl प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंl कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंl लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंl अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैl प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।

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