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संघर्ष

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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ये जीवन एक संघर्ष है,
हार कभी न मानिए।
लड़ो लड़ाई अंत समय तक,
स्वयं को पहचानिए॥

तैयारी तुम रखो हमेशा,
इसे चुनौती मानिए।
जीवन के इन संघर्षों में,
हार न स्वीकारिए॥

जीवन की कठिन परीक्षा में,
निराशा को त्यागिये।
हिम्मत और हौंसला रखकर,
अपना कद बढ़ाइए॥

संघर्ष हमारे शिक्षक है,
इनसे सीख लीजिए।
सुख व दुख का मेल है जीवन,
संघर्ष सब कीजिये॥

कठिन काल से शिक्षा लेकर,
आगे बढ़ते रहिए।
पहन खुशी के हार सदा ही,
संघर्षों से लड़िये॥

ये जीवन का सत्य सनातन,
सत्य को पहचानिए।
कामयाब यदि होना है तो,
जीवन से न भागिए॥

जीवन का तो सार यही है,
जीवन से न हारिये।
संघर्षों में जीत छिपी है,
मन में यही धारिये॥

जीवन पथ में शूल बहुत है,
इनसे ना घबराएं।
रखे हौंसला अपने ऊपर,
इन्हें दूर भगाएं॥

मंजिल प्यारी हो जिसको यदि
संघर्ष न अटकाए।
भूल जाय यदि लक्ष्य कहीं तो,
जीवन में भटकाये॥

सहारों के दम पर कभी ना
जीवन को अपनाएं।
संघर्षों से खुद ही लड़कर,
जीवन सफल बनायें॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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