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बहुत जरुरी है जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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आबादी नियंत्रण करना नामुमकिन है, चाहे नियम,कानून,सामाजिक,पारिवारिक स्तर पर कितने भी प्रयास किये जाएंl इसको इस प्रकार समझाना-समझना होगा कि, वर्तमान में देश की आबादी १३० करोड़ हैंl हम पूरी आबादी को वर्षवार बाँट लें,यानी एक वर्ष से लेकर १३० वर्ष की आयु वर्ग के १ करोड़ लोग हैं,अब आप २० से ४० वर्ष के आयु वर्ग को जिनकी शादी इस अवधि में होगी उनको कम से कम २ बच्चे पैदा करने का अधिकार तो होगाl यह क्रम आवर्ती में होगा,यानि हर वर्ष यह आयु वर्ग बढ़ेगाl आज मृत्यु दर बहुत कम हो गयी है,इस कारण आबादी का रुकना संभव नहीं हैl
रहा सवाल किसी समुदाय विशेष का,तो उस मानसिकता को बदलना सरल और कठिन दोनों हैl यही समुदाय की आबादी बढ़ाना यदि लक्ष्य है तो यह विश्वव्यापी रोग है,अन्यथा व्यक्तिगत रूप से आपको सम्पन्न रहना है तो सीमित परिवार होना आवश्यक हैl
एक तरफ देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग जोर पकड़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से इसकी आवश्यकता जता चुके हैं। वहीं,उनके ही दल के नेता पंडित सुनील भराला अलग ही राग अलाप रहे हैं। सुनील भराला का कहना है कि हिंदुओं को ‘हम दो-हमारे एक’ की सोच छोड़कर कर ‘हम दो हमारे पांच’ की नीति अपनानी होगी। नेता भराला ने कहा,-‘विशेष समुदाय को २ से ज्यादा बच्चे पैदा करने पर किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलना चाहिए। जनसंख्या पर कानून बहुत जरूरी हो गया है। कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद ने जनसंख्या नियंत्रण पर देशव्यापी बहस की दरकार बताते हुए इस मामले पर कानून बनाने की मांग की है। उन्होंने आर्थिक प्रगति से लेकर प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ते दबाव तक का हवाला देकर इस तरफ ठोस कदम उठाने की दरकार बताई। उन्होंने इस मुद्दे पर राजनीतिक स्वार्थों से ऊपर उठकर देशहित में फैसले लेने की अपील की। प्रसाद ने कहा,-‘मैं सरकार से मांग करता हूँ कि इस मुद्दे पर जो भी कानून लाना है,वह लाए।’
इधर भागवत ने साफ कहा कि-जनसंख्या नियंत्रण के तहत २ बच्चों के कानून को आरएसएस का समर्थन रहेगा। हालांकि,साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर सरकार को फैसला लेना है। केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि,अब उनका राजनीति से अलग होने का वक्त आ गया है। गिरिराज ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर स्थापना का उनका काम पूरा हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अब बस जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बन जाए तो वह राजनीति से खुद को अलग कर लेंगेl
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार जनसंख्या विस्फोट के मुद्दे को उठाया। उन्होंने छोटा परिवार रखने वाले लोगों की तारीफ करते हुए कहा कि यह भी देशभक्ति है। प्रधानमंत्री ने बढ़ती जनसंख्या पर चिंता जताते हुए कहा कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए नई चुनौतियां पेश करता है। इससे निपटने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों को कदम उठाने चाहिए। ऐसे में यह समझना महत्वपूर्ण है कि आखिर यह चिंता कितनी बड़ी है ? इंद्रेश कुमार ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून सबसे जरूरी है। अगर इस कानून के बनने में देरी हुई तो गृहयुद्ध के हालात होंगे।
उच्चतम न्यायालय में देश में बढ़ती आबादी पर नियंत्रण के लिये दो संतानों के मानदंड सहित कतिपय उपायों के लिये दायर याचिका पर शुक्रवार को केन्द्र से जवाब मांगा। पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ भाजपा नेता की याचिका पर केन्द्र और अन्य को नोटिस जारी किये। इस याचिका में उच्च न्यायालय के ३ सितम्बर के आदेश को चुनौती दी गई है। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि कानून बनाने का काम न्यायालय का नहीं,बल्कि संसद और राज्य विधानमंडल का है। इस याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय संविधान के अनुच्छेद २१ और २१-ए में प्रदत्त नागरिकों के लिये स्वच्छ वायु,पेयजल के अधिकार,स्वास्थ का अधिकार,शांतपूर्ण तरीके से सोने का अधिकार,आवास का अधिकार,आजीविका और शिक्षा के अधिकार पर गौर करने में विफल रहा हैl याचिका में कहा गया है कि जनसंख्या पर काबू पाये बगैर सभी नागरिकों के लिये संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों को सुरक्षित नहीं किया जा सकता है।
योग गुरु बाबा रामदेव ने सरकार को सलाह दी है कि देश की बढ़ती जनसंख्‍या पर काबू पाने के लिए २ से ज्‍यादा बच्‍चे पैदा करने वालों के खिलाफ सख्‍त कदम उठाए जाएं। उन्‍होंने सुझाव दिया कि,ऐसे लोगों की सरकारी नौकरियां और मत देने का अधिकार छीन लिया जाए। देश में जनसंख्‍या पर काबू पाने के लिए चाहे हिंदू हों या मुस्लिम,२ से अधिक बच्‍चे पैदा करने वालों के मत देने का अधिकार,नौकरियां और इलाज की सुविधा को वापस ले लिया जाए। केवल इसी से देश की जनसंख्‍या नियंत्रण में आएगी। उन्‍होंने कहा कि ऐसे लोगों को चुनाव लड़ने की भी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। भारत में जनसंख्या विस्फोटक स्थिति तक पहुंच गई है। जनसंख्या में १६ प्रतिशत की वृद्धि आंकी गई है। वर्तमान में कुछ समाज में आबादी का अनुपात कम होना चिंतनीय हैl
#भारत की प्रजनन दर घटी-
दुनिया में प्रजनन दर २.१ को रिप्लेसमेंट दर माना जा रहा है। इसका मतलब यह है कि जनसंख्या को स्थिर रखने के लिए १ महिला २.१ बच्चे पैदा करेगी। वहीं,भारत की बात करें तो प्रजनन दर लगातार घट रही है और इस समय यह २.२ फीसदी है। आगे के दशकों में इसके २ से भी कम होने की संभावना है। अगले कुछ वर्षों में भारत की आबादी चीन से आगे निकल सकती है। २०६० में १.६५ अरब के साथ भारत की आबादी चरम पर होगी। संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार भारत की जनसंख्या वृद्धि की रफ्तार आगे घटने लगेगी। वहीं,अफ्रीका में इस पूरी सदी में आबादी की रफ्तार बढ़ती रहेगी और वह २०६० के दशक में ३ अरब के आँकड़े को पार कर जाएगी।
२०११ की जनगणना के अनुसार ११ राज्य ऐसे हैं,जहां प्रजनन दर २.१ से ज्यादा है। इंटरनैशनल इंस्टिट्यूट फॉर पॉप्युलेशन साइंसेज के अनुमान के मुताबिक २०३१ तक बिहार समेत सभी बड़े राज्यों में रिप्लेसमेंट से फर्टिलटी रेट कम होगी। हाल के आर्थिक सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि भारत की जनसंख्या वृद्धि अगले दो दशकों में लगातार घटेगी।
धार्मिक आधार पर अगर हम आँकड़ों को देखें तो सभी धर्मों में प्रजनन दर में गिरावट देखी जा रही है। २००५-०६ और २०१५-१६ के बीच के कालखंड को देखें तो हिंदुओं में प्रजनन दर १७.८, मुसलमानों में २२.९,ईसाइयों में १५,सिखों में १९,बौद्धों में २२.७,जैनियों में २२.१ प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। ऐसा देखा गया है कि शिक्षा का स्तर जितना बढ़ता है,प्रजनन दर उतनी ही घटती है। भारत में खुशहाल जैन समुदाय की प्रजनन दर सबसे कम है।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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