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शौर्य प्रतीक महाराणा प्रताप

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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‘महाराणा प्रताप और शौर्य’ स्पर्धा विशेष……….


अकबर की इस बात से
हर कोई हैरान था,
प्रताप को झुकाने के लिए
आधा हिन्दुस्तान देने को तैयार थाI
पर मेवाड़ी सरदार को
अपनी स्वतन्त्रता से प्यार था,
इसलिए उसकी लालच भरी
शर्त से इन्कार थाI

हल्दीघाटी के युद्ध में,
प्रताप की तलवार देख
शत्रु भाग रहा था,
राणा की एक हुंकार से
पूरा अरि दल काँप रहा थाI
अकबर के सेनापति भी
प्रताप के सम्मुख आने से डरते थे,
क्योंकि सारे मुगल उनको
`काल देवता` कहते थेI

जीवन पर्यन्त प्रताप
दुश्मन से लड़ते रहे,
स्वतन्त्रता की खातिर
हर दुःख सहते रहेI
जंगल को अपना घर बनाया
घास की रोटी खाई,
अपने साहस को बढ़ाया
फिर मातृभूमि को,
मुगलों से स्वतंत्र करायाI

प्रताप की वीरता की
पूरे हिन्दुस्तान में चर्चा होने लगी,
ख़ुशी से हर कोई झूमने लगा
महल दीपों से सजने लगा,
अकबर को फिर ये समझ में आया
प्रताप को कभी न हरा पायाI
फिर इस धरा को छोड़,
वो मेवाड़ी वीर स्वर्ग चला
स्वर्ग दूत भी राणा को,
गौर से देखने लगाI

जब अकबर ने राणा की
मौत की सूचना पाई,
उसके चेहरे पर एक
उदासी छाईl
राणा को हराने की
अकबर की ख्वाहिश कभी,
पूरी नहीं हो पाईll

परिचय-गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

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