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शीश मेरा उनके नाम

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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यही पर हमें जीना है,
यही पर हमें मरना है
बीच जीवन में हमको,
कार्य अनुपम करना है।

जिनसे मिला जी यह तन है,
जोड़े रखे जो मन से मन है
करता हूँ आज मैं सहृदय,
इस मातृभूमि को नमन है।

जहाँ और जिससे मैं खेला-कूदा,
हुआ दुखी उनसे मैं होकर जुदा
यादों में बसते हैं वे सब दिन-रात,
मन में देते सदा प्यार की सौगात।

अन्न-जल दिया जिस भूमि ने हमें,
आश्रय मिला जिस प्रान्त पर हमें
ऐसी मातृभूमि को मेरा प्रणाम है,
रक्षार्थ शीश मेरा उनके नाम है।

उपकारों की सीमा है नहीं कम,
ऋण चुका दूँ ऐसा है नहीं कर्मl
पर आज करता हूँ मैं यह वादा,
शीश मेरा उनके नाम रहेगा सदाll

परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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