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लोकतंत्र की मजबूती और कमजोर विपक्ष

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’
बहादुरगढ़(हरियाणा)
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लोकतंत्र की सफलता,महत्व और उपयोगिता इसी में है कि वहाँ का हर नागरिक स्वयं को व्यवस्था का अटूट हिस्सा अनुभव करे। भारत जैसे विविधताओं से भरे राष्ट्र में यह बात और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।प्रचंड बहुमत यदि आपको शासन अच्छी तरह चलाने का अवसर देता है, अपनी हर प्रकार की योजनाओं को मूर्त रूप देने का सुनहरी मौका प्रदान करता है तो कभी निरंकुश भी बना देता है। शासक स्वयं को अपराजेय समझ जनता की अनदेखी करता है,वो जन भावनाओं की कोई परवाह नहीं करता। जब विपक्ष सशक्त न हो,कई हिस्सों में विभक्त हो,एक-दूसरे को नीचा दिखाने पर आमादा हो,तो ऐसा होना स्वाभाविक ही है।
दुर्भाग्य से आज भारत में ऐसा ही है।स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने वाली, छह दशक से भी ज्यादा सत्ता में रही कॉंग्रेस आज लुप्त होने की कगार पर है। पूरे राष्ट्र में छाया रहा यह दल आज क्षेत्रीय दलों के ही रहमो-करम पर कुछ राज्य में अपना अस्तित्व बचाने में लगा है। पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ में बहुमत से सरकार बनी,मध्यप्रदेश-राजस्थान में सरकार बस बन ही गई। महाराष्ट्र में एक तीसरी टांग के रूप में बैसाखी बनी है,२ माह पूरे होने से पहले ही उनमें विरोधाभास उजागर है। कब इतिश्री हो जाए,कुछ नहीं पता,पंजाब में तो अमरिंदर के बलबूते आई है। केरल में बस है एक हिस्से के रूप में। राहुल व उनके कुछ सिपहसालार स्वयं ही अपने बयानों व कार्यकलापों से देश को कांग्रेस मुक्त बनाने में लगे हैं। कई दशक राज कर चुका यह दल दो बार से विपक्ष का नेता बनने लायक १० प्रतिशत सीट भी प्राप्त नहीं कर सका है। प. बंगाल में भाजपा ने कुछ हद तक ममता के वोट बैंक में सेंध लगाई है,पर ममता की संघर्ष की जिजीविषा,जनता से जुड़ाव विधानसभा में वापस तो ले आएगा, किन्तु कुछ सीटें कम हो सकती है। बिहार में राजद टक्कर देने की हालत में नहीं है,नीतीश मोदी का साथ नहीं छोड़ सकते,पर राजनीति में सब-कुछ सम्भव है। आंध्र में जगन मोहन रेड्डी ने तीन वर्ष जनता से जुड़ाव व सरोकार रख नए दल को विशाल बहुमत दिलाया, लोकसभा में २५ सीटें दिला दी,अभी हाल ही में केजरीवाल की प्रचंड जीत किए गए काम को ले कर मिली। अब यह निश्चित हो गया कि ड्राइंगरूम में बैठ कर राजनीति करने वाले ड्राइंगरूम में ही बैठे रह जाएंगे। यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत है कि राष्ट्रीय मुद्दों पर पर लोकसभा का चुनाव जीता जा सकता है,पर विधानसभा का चुनाव स्थानीय मुद्दों पर सामाजिक सरोकार के साथ ही जीता जाएगा। हरियाणा में बड़ी मुश्किल से भाजपा गठबंधन के साथ सत्ता में आई,तो झारखंड में तो गंवा ही बैठी।
गर विपक्षी दल आने वाले विधानसभा व २०२४ के लोकसभा चुनावों में अभी की तस्वीर बदलना चाहते हैं तो जनता से जुड़िए, जनता के बीच जाइए,उनके मुद्दों को सदन में उठाइए। उनकी समस्याओं को हल करने व कराने के लिए पुरजोर तरीके से ज़मीनी हकीकत के साथ काम कीजिए,तभी कुछ हो पाएगा,अन्यथा अगली बार तो लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने लायक सीटें न ला पाने की हैट्रिक हो जाएगी कांग्रेस जी!
मुश्किल कुछ नहीं है,जोश,संघर्ष,जनता के बीच रहने की ललक एक नया परिणाम लाएगी-
‘कौन कहता है,आसमान में छेद नहीं हो सकता,
एक पत्थर तो तबियत से
उछालो यारों!’
और यह पत्थर कम-से-कम कुछ समान विचारधारा वाले लोग मिल कर उछालें,नहीं तो परिणाम होगा वही ढाक के तीन पात!
आज भाजपा प्रचंड बहुमत के अहंकार में सामाजिक समरसता को अनदेखा कर रही है। ढाई महीने से चल रहे सीएए के खिलाफ़ चल रहे हिंसक-अहिंसक आंदोलन,विषैले प्रचार,भाषणबाजी के कारण हर किसी की राजनीतिक रोटियां सिक रही है,हर कोई अपने अपने हिसाब से फायदा देख रहा है। शाहीन बाग प्रदर्शन के कारण तीन राज्यों को प्रभावित करती सड़क बन्द है,लाखों लोगों का १० किलोमीटर लम्बा चक्कर लगा कर समय व पेट्रोल बर्बाद हो रहा है। वोट बैंक की राजनीति पर क्या-क्या कुर्बान होगा ? आपका बनाया कानून न्यायोचित है,यही बात मुस्लिम भाइयों को मिल कर,बात कर समझाइये न भाजपा जी। अपनी जीत के मूल मंत्र ‘सबका साथ,सबका विकास,सबका विश्वास’ के मूलमंत्र को असली जामा पहनाइए। यही समय की दरकार है,मांग है। फिर देर न हो जाए, समय सबका कभी भी एक जैसा नहीं रहता,जो आज है,कल हो न हो।

परिचय–राजकुमार अरोड़ा का साहित्यिक उपनाम `गाइड` हैl जन्म स्थान-भिवानी (हरियाणा) हैl आपका स्थाई बसेरा वर्तमान में बहादुरगढ़ (जिला झज्जर)स्थित सेक्टर २ में हैl हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री अरोड़ा की पूर्ण शिक्षा-एम.ए.(हिंदी) हैl आपका कार्यक्षेत्र-बैंक(२०१७ में सेवानिवृत्त)रहा हैl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत-अध्यक्ष लियो क्लब सहित कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़ाव हैl आपकी लेखन विधा-कविता,गीत,निबन्ध,लघुकथा, कहानी और लेख हैl १९७० से अनवरत लेखन में सक्रिय `गाइड` की मंच संचालन, कवि सम्मेलन व गोष्ठियों में निरंतर भागीदारी हैl प्रकाशन के अंतर्गत काव्य संग्रह ‘खिलते फूल’,`उभरती कलियाँ`,`रंगे बहार`,`जश्ने बहार` संकलन प्रकाशित है तो १९७८ से १९८१ तक पाक्षिक पत्रिका का गौरवमयी प्रकाशन तथा दूसरी पत्रिका का भी समय-समय पर प्रकाशन आपके खाते में है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। प्राप्त सम्मान पुरस्कार में आपको २०१२ में भरतपुर में कवि सम्मेलन में `काव्य गौरव’ सम्मान और २०१९ में ‘आँचलिक साहित्य विभूषण’ सम्मान मिला हैl इनकी विशेष उपलब्धि-२०१७ में काव्य संग्रह ‘मुठ्ठी भर एहसास’ प्रकाशित होना तथा बैंक द्वारा लोकार्पण करना है। राजकुमार अरोड़ा की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा से अथाह लगाव के कारण विभिन्न कार्यक्रमों विचार गोष्ठी-सम्मेलनों का समय समय पर आयोजन करना हैl आपके पसंदीदा हिंदी लेखक-अशोक चक्रधर,राजेन्द्र राजन, ज्ञानप्रकाश विवेक एवं डॉ. मधुकांत हैंl प्रेरणापुंज-साहित्यिक गुरु डॉ. स्व. पदमश्री गोपालप्रसाद व्यास हैं। श्री अरोड़ा की विशेषज्ञता-विचार मन में आते ही उसे कविता या मुक्तक रूप में मूर्त रूप देना है। देश- विदेश के प्रति आपके विचार-“विविधता व अनेकरूपता से परिपूर्ण अपना भारत सांस्कृतिक,धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक, आर्थिक, राजनीतिक रूप में अतुल्य,अनुपम, बेजोड़ है,तो विदेशों में आडम्बर अधिक, वास्तविकता कम एवं शालीनता तो बहुत ही कम है।

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