मीरा जैन
उज्जैन(मध्यप्रदेश)
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पेड़ विहीन इस गाँव में हरियाली हेतु वन विभाग ने तीन वर्ष पूर्व समस्त गाँव वासियों को विभिन्न प्रकार के शीघ्र बढ़ने वाले पौधे वितरित कर उनकी सार-संभाल के लिए प्रशिक्षण भी दिया। इस वर्ष मुयायना करने
जब वन विभाग की टीम आई तो मात्र सुखिया के घर को छोड़ सारा गाँव पहले की तरह ही सूखा वीरान देख विचलित हो गए,किसी के घर कोई पौधा नहीं। सुखिया के घर के आसपास पौधों की घनी कतार देख वन विभाग ने अन्य लोगों पर तंज कसते हुए कहा-
‘आप शिक्षित व सभ्य दिखने वालों से तो ज्यादा समझदार ये सुखिया निकला,जिसने वृक्षों की घनी खूबसूरत स्वस्थ कतार निर्मित कर दी। ऐसा आश्चर्य तो हमने पहली बार देखा है। कितनी मेहनत की है सुखिया ने,इसे सरकार से अवार्ड दिलवाएंगे।’
अवार्ड का नाम सुनते ही सुखिया ने सहज ही कहा-
‘साहब! ईनाम देना ही है तो मेरे पूरे गाँव वालों को दीजिए,क्योंकि ये हरियाली गाँव वालों की मेहनत का ही फल है। इन सभी ने अपने-अपने पौधे लाकर यहाँ लगाए ही नहीं,बल्कि उनकी देखरेख भी की,वो भी मुझसे पूछ कर। कारण केवल इतना था,मेरा कुँआ भीषण गर्मी में भी नहीं सूखता है।
परिचय-श्रीमति मीरा जैन का जन्म २ नवम्बर को जगदलपुर (बस्तर)छत्तीसगढ़ में हुआ है। शिक्षा-स्नातक है। आपकी १००० से अधिक रचनाएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से व्यंग्य,लघुकथा व अन्य रचनाओं का प्रसारण भी हुआ है। प्रकाशित किताबों में-‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं (२००३)’ सहित ‘१०१ लघुकथाएं’ आदि हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-वर्ष २०११ में ‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं’ हैं। आपकी पुस्तक पर विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन) द्वारा शोध कार्य करवाया जा चुका है,तो अनेक भाषा में रचनाओं का अनुवाद एवं प्रकाशन हो भी चुका है। पुरस्कार में अंतर्राष्ट्रीय,राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय कई पुरस्कार मिले हैं। प्राइड स्टोरी अवार्ड २०१४,वरिष्ठ लघुकथाकार साहित्य सम्मान २०१३ तथा हिंदी सेवा सम्मान २०१५ से भी सम्मानित किया गया है। २०१९ में भारत सरकार के विद्वानों की सूची में आपका नाम दर्ज है। श्रीमती जैन कई संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। बालिका-महिला सुरक्षा,उनका विकास,कन्या भ्रूण हत्या एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आदि कई सामाजिक अभियानों में भी सतत संलग्न हैं।