तब ही माँ के दर्द को जाना
रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ जब मैं ख़ुद माँ बनी,तब ही माँ के दर्द को जानासही मायने में मैंने जब,माँ के मर्म को था पहचाना। जान की बाज़ी लगाकर,जो शिशु को जन्म है देतीधन्य है वो सब माँएं,जो सृष्टि को क्रम है देती। माँ बिन घर,घर नहीं होता है,माँ बिन दर,दर नहीं होता हैमाँ वंदनवार चौखट की,माँ बिन … Read more