हित का संरक्षण हो
अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************* भूख,गरीबी,लाचारी के,नहीं जातिगत रिश्ते हैं।कितने बालक,वृद्ध दवाई,बिना तड़पते रहते हैं॥ क्या अगड़े,क्या पिछड़े ‘निर्धन’कितना दंश झेलते हैं।कितनों के घर चूल्हा जलता,कितनी फांके भरते हैं॥ सत्तर सालों का अनुभव,क्या नहीं समझ में आया है।खास-खास कुछ ही लोगों ने,इसका लाभ उठाया है॥ नब्बे प्रतिशत से ज्यादा,जैसे थे,वैसे अब भी हैं।पहले भी थे ‘वोट बैंक’,और … Read more