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प्रभु बारम्बार प्रणाम तुम्हें

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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हे जगनियंता,जग नायक,
हे जगदा धार प्रणाम तुम्हेंl
एक दंत,हे ज्ञान वंत,
प्रभु बारम्बार प्रणाम तुम्हेंll

हो खल गंजन,तुम दुःख भंजन,
हो जन रंजन,अभिराम तुम्हीं।
हो निराकार तुम निर्गुण हो,
साकार रूप निष्काम तुम्हींll

काम,क्रोध,मद,लोभ,मोह,
छल,दंभ,द्वेष,दुःख नाशी हो।
तुम अन्तर्यामी,जग स्वामी,
कण-कण,घट-घट में वासी होll

हे लम्बोदर,हे विघ्नेश्वर,
हे परम उदार प्रणाम तुम्हें।
हे एक दंत,हे ज्ञान वंत,
प्रभु बारम्बार प्रणाम तुम्हेंll

तुम भुव पति,भव पति,भुवन पति,
हो भरग,ईश-ईशान भी हो।
हो भूत,भूत पति,भवापति,
तुम भक्त-भरण,भगवान भी होll

महिमामय हो,मंगलमय हो,
मृत्युञ्जय हो,शत्रुंजय हो।
हे विघ्न विनाशक,गणनायक,
तेरी जय हो,तेरी जय होll

हे शोक नसावन,भय-भाजन,
जीवन आधार प्रणाम तुम्हें।
हे एक दंत है ज्ञान वंत,
प्रभु बारम्बार प्रणाम तुम्हेंll

तुम ही जगती के संचालक,
माया पति हो,महिमा कर हो।
भक्तों के पालनहार हो तुम,
करुणा कर के करुणाकर होll

तुम सत्यम,शिवम्,सुंदरम का,
सारांश तत्व दिखलाते हो।
तुम सत्य,चित्त,आनंद रूप,
का सत आभास कराते हो॥

हे क्षमाशील,हे दयावान,
जीवन पतवार प्रणाम तुम्हें।
हे एक दंत,हे ज्ञान वंत,
प्रभु बारम्बार प्रणाम तुम्हेंll

सर्वत्र अनीति,अनय फैली,
पाप ने डाला डेरा है।
भय,क्लेश,कलह,पाखंड,छद्म,
से चारों तरफ अंधेरा है॥

रिश्ते-नाते,सब लुप्त हुए,
स्वारथ का भाईचारा है।
है मत्स्य न्याय से त्रस्त जगत,
सज्जन का नहीं गुजारा है॥

आ जाओ मनमानस मराल,
जग के करतार प्रणाम तुम्हें।
हे एक दंत,है ज्ञान वंत,
प्रभु बारम्बार प्रणाम तुम्हेंll

हो विद्या,बुद्धि प्रदाता तुम,
जग मंगल करने वाले ही।
गज वदन,सदन सुखदायक हो,
सब संकट हरने वाले हो॥

सृष्टा हो सारी सृष्टि के तुम,
दृष्टा हो व्यष्टि-समष्टि के तुम।
हो प्रिय जन के प्रतिपाल तुम्हीं,
बादल हो दया की वृष्टि के तुम॥

हे सर्वेश्वर,हे परमेश्वर,
हे तारण हार प्रणाम तुम्हें।
हे एक दंत,हे ज्ञान वंत,
प्रभु बारम्बार प्रणाम तुम्हेंll

विश्राम हो तुम विश्रांतों के,
ध्यानी धारों के ध्यान हो तुम।
भक्तों के जीवन-प्राण हो तुम,
भव भयहारी,भगवान हो तुम॥

हो पाप,ताप,दुःखहारी तुम,
संसार चलाने वाले हो।
जलचर,थलचर,नभचर वासी,
सब जीवों के रखवाले हो॥

हे अलख,अगोचर,अनंत चर,
गणपति,सुखसार प्रणाम तुम्हें।
हे एक दंत,है ज्ञान वंत,
प्रभु बारम्बार प्रणाम तुम्हेंll

परिचय-प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

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