शहर

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** घने कोहरे में लिपटा, धुँआ-धुँआ सा है शहर। फिजां में धीरे घुलता, मीठा-मीठा-सा है जहर। किसी गरीब की फटी, झोली-सा है शहर। उसके शरीर पर लिपटी, मैली कमीज सा है शहर। शर्म बस थोड़ा ढँकती, उघड़ी समीज़-सा है शहर। पेट-पीठ से सटी, भूखी अंतड़ी-सा है शहर, होंठ पर पड़ी … Read more

धर्म और मानवता

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* यदि एक, दूसरे से कोई पूछता है- बताओ तुम्हारा धर्म क्या है ? तो वह बिंदास बोलते हैं कि, हिन्दू हूँ, मुसलमान हूँ सिख हूँ, व इसाई हूँ। किंतु, `मानव` कोई नहीं बताता। क्योंकि, मानव में मानवता होती है जो उनमें नहीं है। इसलिए वह भली-भाँति जानते … Read more

सामूहिक दुष्कर्म: कड़े से कड़े दण्ड की जरूरत

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* हैदराबाद घटना-विशेष रचना……………… द्वापर युग के द्रौपदी चीरहरण से लेकर `दामिनी` सामूहिक बलात्कार एवं `निर्भया` कांड से लेकर हैदराबाद की पशु चिकित्सक ‘दिशा’ बेटी की सामूहिक बलात्कार और निर्मम हत्या पर विचार किया जाए,तो एक बात स्पष्ट हो जाती है कि न्यायिक व्यवस्था एवं सामाजिक तंत्र में … Read more

संहार करेगी

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** हैदराबाद घटना-विशेष रचना………….. कुचल डालो सर उसका,जिसने भी दुष्कर्म किया, मसल डालो धड़ उसका,जिसने भी यह कर्म किया। नहीं क्षमा ना दो संरक्षण,ना मज़हब का दो आरक्षण, हर दुष्कर्मी को दो फाँसी,जो करते जिस्मों का भक्षण। काट डालो उन पँजों को,जिसने अस्मत को तार किया, मानव तन में छुपे … Read more

मुहब्बत

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** (रचनाशिल्प:१२२ १२२ १२२ १२२)  मुहब्बत मुहब्बत मुहब्बत हमारी, सलामत रहे प्यार चाहत हमारी। नहीं ख़्वाब कोई नहीं चाह कोई, नहीं कोई तुझसे शिकायत हमारी। नहीं फूल गुलशन,नहीं चाँद-तारे, नहीं झूठ कहने की आदत हमारी। लिखेगा जमाना फ़साना हमारा, बनेगी कहानी ये उल्फ़त हमारी। प्रियम की मुहब्बत तुम्हारी जवानी, दिलों … Read more

सिंदूर

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** चुटकी भर सिंदूर लगा, सजनी सुंदर सजती है। सोलह श्रंगार होता पूरा, माथे जो लाली रचती है। बिन इसके सुहाग अधूरा, हर नारी अधूरी लगती है। चटक सिन्दूरी सूरज आभा, सजा के औरत फबती है। चुटकी भर सिंदूर की कीमत, सुहागन सारी समझती है। तभी सुहाग बचाने को नारी, … Read more

बचपन

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष……….. हँसी लड़कपन की हसीन, और वो मीठे-मीठे पल। याद है बचपन के दिन, वो गुजरे हुए सारे कलll न चेहरे पे थी चिंता कोई, न माथे पे थी कोई शिकन। हँसी-खुशी गुजरते थे, बचपन के हर दिन-हरपलll माँ की गोदी में होती, तब सारी … Read more

सौगात

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** (रचनाशिल्प:१२२ १२२ १२२ १२२) नज़र की नज़र से मुलाकात होगी, दिलों की दिलों से तभी बात होगी। कभी जो नज़र ये हमारी मिलेगी, यकीनन सितारों भरी रात होगी। मिलेगी नज़र जब हमारी तुम्हारी, सुहानी सहर और जवां रात होगी। चलेंगे तुम्हें साथ लेकर सफ़र जो, हमारी डगर फूल बरसात … Read more

ज़िन्दगी हरदम लेती परीक्षा

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** (रचनाशिल्प:काफ़िया-आर,रदीफ़-है मिलता, बहर-१२२२ १२२२ १२२२ १२२२) फ़क़त ही याचना करके,कहाँ अधिकार है मिलता, उठा गाण्डीव जब रण में,तभी आगार है मिलता। नहीं मिलता यहाँ जीवन,बिना संघर्ष के कुछ भी, अगर मन हार बैठे तो,कहाँ दिन चार है मिलता। अगर खुद पे यकीं हो तो,समंदर पार कर लोगे, मगर साहिल … Read more

विश्वविजय

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** खड़ा हुआ है लौह पुरुष, एकता भाव जगाने को। विखण्डित होते भारत, को अखण्ड बनाने कोll वर्षों से जो रहा उपेक्षित, अब सम्मान दिलाने को। देशप्रेम जीवन समर्पित, वल्लभ कदम मिलाने कोll आसमां को छूता परचम, झंडा तिरंगा लहराने को। सबसे ऊंचा रहता हरदम, विश्व पताका फहराने कोll दौड़ … Read more