राजनीतिक गुस्से का प्रतिशोध प्रतिमाओं से क्यों ?

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** राजनीतिक आक्रोश या हताशा का प्रतिशोध महापुरूषों की प्रतिमाओं से लेना नई बात नहीं है,लेकिन देश की राजधानी नई दिल्ली में प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में स्थापित स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा को तोड़े जाने का कोई औचित्य समझ नहीं आता,क्योंकि विवेकानंद न तो किसी दल के संस्थापक या प्रचारक थे,न … Read more

‍हरियाली की कीमत पर जनसेवकों को नए घर क्यों ?

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** एक तरफ दुनियाभर के वैज्ञानिक पर्यावरण बचाने के लिए अपीलें कर रहे हैं,खुद भोपाल जैसे शहर की हवा प्रदूषित होती जा रही है,वहीं मध्यप्रदेश की इस राजधानी में मौजूदा हरियाली को भी पलीता लगाया जा रहा है। यूँ भोपाल एक विकासशील शहर है,लेकिन लगता है कि यहां तमाम विकास हरियाली की … Read more

किसी सूरज `बेटे` की ही हो सकती है ऐसी पूनम `माँ….

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** यह वास्तव में कलेजा चीर देने वाला मार्मिक प्रसंग है। इसे श्रद्धांजलि कहना,उसकी हृदय विदारकता को कम करना है। जिसने भी फैलता हुआ वह वीडियो देखा,सन्न रह गया,क्योंकि एक माँ ही अपने कलेजे के टुकड़े के लिए ऐसा कर सकती है। दुखों के पहाड़ को सात सुरों की सरगम में समेटने … Read more

ग्रेटा को पुरस्कार और उसकी प्रतिबद्धता

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** स्वीडन की किशोर जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा प्रतिष्ठित ‘नाॅर्डिक काउंसिल एनवायरनमेंट प्राइज’ को ठुकराना और यह कहना कि जलवायु आंदोलन के लिए विज्ञान को सुनने की जरूरत है,न कि अवाॅर्ड लेने की,उसे अपनी पीढ़ी के उन तमाम युवाओं से अलग करता है,जो दुनिया को बचाने के लिए जुटे हैं। ग्रेटा … Read more

कुछ ज्ञान के दीये भी जलाते चलें…!

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** दीपावली का पर्व अपने-आपमें कई पर्वों को समेटे आता है। इतने विविध रंगी त्यौहार,किसी एक त्यौहार में समाहित हों फिर भी उनकी प्रकृति अलग-अलग रहे,ऐसा शायद हिंदू धर्म में ही संभव है। दीपावली का त्यौहार क्यों शुरू हुआ,किसने शुरू किया,इन सवालों को उल्लास के कालीन के नीचे सरका दें तो भी … Read more

एनसीआरबी के आँकड़े और डरती सरकार

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** छप्पन इंची छाती रखने वाली,पाकिस्तान को आए दिन ठोंकने वाली और कश्मीर से धारा ३७० एक झटके में हटाने वाली मोदी सरकार भला आँकड़ों से क्यों डरती है ? बेजान से लगने वाले इन आँकड़ों में ऐसी कौन- सी चिंगारी छिपी है,जिसकी वजह से सरकार को डर है कि कहीं वह … Read more

भारतीय राजनीति में ‘चरण स्पर्श रोग’

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************************************** भारतीय राजनीति और भारतीय मानस का एक लाइलाज लक्षण यह भी है कि जिस काम से बचने को कहा जाए,वही हर हाल में किया जाए। ऐसी ही लाइलाज बीमारियों में से एक है पैर छू संस्कृति। यूँ भारतीय परम्परा में यह बुजुर्गों,श्रेष्ठिजनों,गुरूओं और विद्वानों के प्रति सम्मान करने का प्रतीक है,लेकिन … Read more

आर्थिक मंदी और रविशंकर का फिल्मी चश्मा…

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************************************** क्या देश में सचमुच आर्थिक मंदी है ? अगर है तो वह सत्ताधीशों को क्यों नहीं दिख रही और नहीं है तो आम आदमी अपनी तंग जेब और काम-धंधों को लेकर इतना बेचैन क्यों है ? यदि देश में आर्थिक मंदी है तो वह व्यापक राजनीतिक असंतोष के रूप में व्यक्त … Read more

राहुल की विपश्यना:रण में जूझने और रण तजने का फर्क…

  अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************************************** राजकपूर की ‍यादगार फिल्म ‘बरसात’ का गाना है-‘छोड़ गए बालम मुझे हाय अकेला छोड़ गए…।’ देश की सबसे पुरानी और सर्वाधिक सत्ता में रही कांग्रेस पार्टी में कुछ ऐसा ही आलम है। कहने को देश में २ राज्यों महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव हो रहे हैं,लेकिन कांग्रेस इसी में … Read more

उफ्! ‘खुले में शौच से मुक्ति’ अभियान का जानलेवा मोड़…

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************************************** देश को खुले में शौच से मुक्त कराने का एक अच्छा अभियान ऐसा हिंसक मोड़ ले लेगा,शायद ही किसी ने सोचा हो। मध्यप्रदेश में इसी वजह से ३ लोग जानें गवां चुके हैं तो अब मनुष्य के साथ पशुओं के(खुले में)शौच को लेकर भी हिंसा शुरू हो गई है। शायद यही … Read more