अब उबारो मुझको माँ
श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)************************************ वसंत पंचमी स्पर्धा विशेष ….. हे हंस वाहिनी ज्ञानदायिनी नमन तुझे माँ,तेरे बालक तुझे पुकारे,कहां बैठी हो हो माँ। हे मेरी माँ शारदे कहां तुम वीणा बजा रही हो,वीणा की धुन पे अज्ञानियों को जगा रही हो। मैं भी अज्ञानी,गिरा हूँ हे माता तेरे चरण में,मुझ पर दया करो माँ,रखो अपनी … Read more