श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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तुमसे मानव तन पाकर माँ माँग रहे हैं यह वरदान,
देश-धर्म-संस्कृति की खातिर हो जाएँ हँस-हँस बलिदान।
माँ इतनी कृपा कर दे,बस इतनी दया कर दे,
इंसान का दिया तन,इंसानियत भी भर दे।
माँ अगणित विभूतियाँ दे,तूने हमें बनाया,
सब-कुछ तो याद रखा,हमने तुझे भुलाया।
सब ओर तुझे देखें,बस ऐसी नजर कर दे,
माँ इतनी कृपा कर दे,बस इतनी दया कर दे।
माँ तेरे दर से हट कर भटके हैं बहुत हम भी,
थक भी बहुत गए हैं,भोगे हैं बहुत गम भी।
अब नेक रास्ते पर चलने की शक्ति भर दे,
माँ इतनी कृपा कर दे बस इतनी दया कर दे।
माँ दुःख-दर्द को,पतन को धरती से मिटा देंगें,
सपनों को तेरे माता,हम सच करके दिखा देंगे।
बलिदानी-सी हिम्मत दिल में हमारे भर दे,
माँ इतनी कृपा कर दे,बस इतनी दया कर दे।
इंसान का दिया तन इंसानियत भी भर दे,
मातृ वन्दना नहीं भूलूँगा वह ज्ञान मुझे दे॥
परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।