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टूट गए दिल के अरमां…

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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तुम बहुत ही दिल वाले हो,
तुम्हें चाहने वाले बहुत हैं
तुझे पाने के लिए बेसब्री से,
दिखावे का इंतजार करते हैं।

दिल वाले ओ हसरतों वाले,
माना तुझे कैद कर लिया है
बंधे हो तुम किसी के आँचल में,
यह सत्य मैंने मान लिया है।

कोई तेरे लिए रोता है रात-दिन,
उसका तुम्हें भी कोई गम नहीं
जिसके लिए तुम नित मरते हो,
तुझे चाहे ना चाहे तुझे,गम नहीं।

तूने ललचाया मुझे ख्वाब,दिखा के,
खुल गया अब तेरे इश्क का राज,
मैं तेरी दुल्हन इंतजार करती थी,
तुम बावरे,बने हो किसी का ताज।

फूल बिछाए थे मैंने तेरी राहों में,
पर तुम काँटों में चलने वाले हो
मैं अमृत प्याला लेकर खड़ी थी,
पर तुम विष ही पीने वाले हो।

दिल के अरमां दिल में सिमट गए,
ख्वाब थे हमारे,ओ अधूरे रह गए।
तेरे मन का माजरा तू ही जाने,
टूटी ‘देव’ फूल डाली से तुम सुनो॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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