मशहूर हूँ खुद की लाचारी से..

नताशा गिरी  ‘शिखा’  मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************************* मैं कृषि हूँ,कृषि प्रधान देश का देश की रीढ़ की हड्डी हूँ, देश की रक्त धाराओं में बहता हुआ प्रसिद्ध हूँ। देखो ना… मशहूर हूँ मैं दुनिया में खुद की लाचारी से, भुखमरी,अकाल,अशिक्षा की बीमारी से। माना तृप्त करता हूँ मैं सबको, फिर क्यूँ खुद ही भूखा रह जाता हूँ… … Read more

तेरी शिखा हूँ…

नताशा गिरी  ‘शिखा’  मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************************* दिल में कोई सपना जगा के, पागल मन को अपना बना के। कहाँ गए तुम दिल धड़का के, यूँ ही मुझको जोगन बना के। ढूंढूँ तुमको हर भंवर में, ढूंढूँ तुमको दिलों-शहर में छिप गए हो तुम किन कलियों में, फिरती हूँ पागल गलियों में। न मंज़र न साहिल न … Read more

परदेशी सैयां

नताशा गिरी  ‘शिखा’  मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************************* सैयां जी……..ओ सैयां जी, याद आए तेरी बतियां,बीती रतियां। कहती हैं सखियाँ,जोगन बनी क्यूँ, प्रेम दिवानी,आँखों में तेरी कैसा है पानी। होंठों की लाली हाय! किसने चुराई, हाथों की मेहंदी ऐसे फ़ीकी पड़ी क्यूँ। क्या मैं कहूँ जी बोलो न! ओ सैयां जी॥ मिलो जो मुझसे,कह दूँ तुमसे, ख़्वाबों में … Read more

हर घाटी पर तिरंगा लहराएंगें

नताशा गिरी  ‘शिखा’  मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************************* कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. चलो आज फिर यादें ताज़ा कर जाते हैं, पाकिस्तान के धोखे की कहानी, नापाक मांग कश्मीर की जुबानी सुनाते हैं। वो वादियां थी कारगिल की सुहानी, जब खून भी सूख के हो जाए पानी। ४७.५ तापमान की डिग्री फिर नहीं लगती लुभावनी, चलो बताते हैं … Read more

भारत माँ

नताशा गिरी  ‘शिखा’  मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************************* मैं भारत हूँ ,हाँ मैं भारत हूँ, तुम सबकी भाग्य विधाता हूँl देखो… पूरे जगत में अपनी विशालता की कहानी बतलाई है, त्याग है देखी,ममता देखी शौर्य का अदभुत दृश्य, दुनिया को दिखलाया है। दुनिया के दिल को जीता है बस फिर अपने ही घर में हार गईं, बैठ अंधेरी … Read more

तुम ही सारथी हो

नताशा गिरी  ‘शिखा’  मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************************* अनजानी-सी रात है,पलभर की मुलाकात है, छोटी-सी दुनिया में,बड़ी-बड़ी बात है। आँखों में सपने हैं,पास नहीं अपने हैं, चलना है देखो अपनी राह पर,तेरा कर्म तेरे साथ है। बाकी सब स्वार्थ है,नश्वर है दुनिया, जीना-मरना इक बार है,मोह-माया सब निराधार है। नईया तेरी जिस ओर है,देख विपरीत पवन का शोर … Read more

मेरे गाँव की हवा

नताशा गिरी  ‘शिखा’  मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************************* हाले दिल गाँव का क्या सुनाऊँ आपको, पहले जन्नत,अब खण्डहर-सा लग रहा है। जिसे देख आँखें सुकून पातीं थी हवाएं, जो अब मन-ही-मन खटक रही है। सूनी वादियों मे जहाँ गीत गातीं थीं हवाएं, तनहाइयों में जहाँ गुनगुनाती थीं हवाएं। वन बाग़ उपवन को जहाँ महकाती थीं हवाएं, शहरों की … Read more

वाह री जिन्दगी

नताशा गिरी  ‘शिखा’  मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************************* अब सब अपना पलड़ा झाड़ रहे हैं, अपने अस्तित्व को ही न जाने किस रंग में ढाल रहे हैं। दिलचस्पी रही न अब राधा या श्री राम में, दो जून की रोटी के आगे पिज्जा-बर्गर निहार रहे हैं। सास-बहू के नाटक ने रामायण का पाठ भुलाया है, रूद्राभिषेक किसे कहते … Read more

तुझ जैसी इक माँ…

नताशा गिरी  ‘शिखा’  मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************************* मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… माँ, मुझमें भी तो जिन्दा है तुझ जैसी ही इक माँ। हाँ माँ, मुझमें भी तो जिन्दा है तुझ जैसी ही इक माँ। माना, माना परिधान बदल दिया है,साड़ी की जगह अब जीन्स ने ली है, क्या परिधान मात्र से मेरा वजूद खतरों में बतलायेंगे। देखो, … Read more

पोरस

नताशा गिरी  ‘शिखा’  मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************************* जो जीता वही सिकन्दर इस मिथ्या को कब तक तुम गाओगे, पोरस की विजयगीत को इतिहास के पन्नों में कब तक यूँ छिपाओगे। सिन्धु नदी और झेलम ने फिर पोरस को पुकारा है, उन इतिहासकारों की चाटुकारिकता को देखो कितना धिक्कारा है। मुद्राराक्षस के पन्नों को कभी तुम टटोल लो, … Read more