वो गुलाब तुम हो…
गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’बरेली(उत्तर प्रदेश)******************************** काव्य संग्रह हम और तुम से महका है जिससे मेरा मन,वो गुलाब तुम हो,पी है आँखों से हमने वो शराब तुम हो…। जो देखा था कभी हमने वो ख्वाब तुम हो,तन्हाई के अँधेरों में जिसने किया उजाला,वो आफताब तुम हो। कहते हैं जिसे पहला-पहला प्यार,वो प्यार तुम हो,रहता है जिसमें … Read more