खो गई मानवता

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ********************************************************************** कल-कल करता कलियुग,मानव शरीर अब मशीन हो गए, खो गई मानवता,चलते-फिरते रोबोट हो गए। नेता हो या अभिनेता,कुर्सी सबको प्यारी है, पद पाने…

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दुष्ट प्रवृत्ति व शोषण का शिकार बनती महिलाएँ

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ********************************************************************** पूरा भारत जहाँ एक ओर नारी सम्मान की बात करता है,वहीं जहाँ मौका मिलता है दमन करने से नहीं चूकता। एक ओर कन्या…

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सम्वेदनाओं का अकाल

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* हर चेहरे पर है शून्यता, है भावों की कुछ न्यूनता... लगता है इंसान मशीन हो गया, हर रिश्ता,प्रेम से बस छूट गया। सम्वेदनाओं…

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आजादी के मतवाले ‘आजाद’

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* चंद्रशेखर आजाद शहीद दिवस स्पर्धा विशेष……….. आजाद हवा में महक है आजादी के मतवाले की, दास्तां हम सुनाते हैं आजाद,हिन्द निराले की। मादरे…

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तनिक शर्म करो

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* तनिक शर्म करो,शाहीन बाग के गद्दारों, देशभक्त कहते खुद को,पहले देशभक्ति का पाठ पढ़ो। किस अधिकार की बात हो करते,चाहिए कौन-सी आजादी! एनपीआर,सीएए…

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एक माँ की मजबूरी

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* (`ऑटिज़्म` एक ऐसा मनोरोग है,जो बच्चे को तो दु:ख देता है और सबसे ज्यादा आहत होती है माँ। एक ऐसी ही माँ का…

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मौन को न मौन रहने दो

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* कुछ तो बोलो,कुछ तो कहने दो, मौन को न मौन रहने दो। शब्द देकर अपने भावों को आँखों से बोलने दो, मौन को…

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अजनबी

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* भटक रहे दरबदर अजनबी से इस शहर में, यहाँ दुश्मन ही मिले,दोस्तों के भेष में। घर से बेघर किया अपनों ने,अपने ही देश…

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संविधान और आज के हालात

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष……… २६ जनवरी का क्या मतलब है,क्यों मनाते हैं हम? गण अर्थात जनता तंत्र अर्थात शासन यानि जनता का शासन।…

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दीवारें भी बोलती हैं…

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* न समझो खामोश ये रहती हैं, तन्हाइयों में मेरी,मुझसे बातें करती हैं, क्योंकि,दीवारें भी बोलती हैं...। रोती हैं साथ मेरे तो कभी हँसती…

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