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अब न सहेंगें धमकी…आ गया ‘राफेल’

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
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नाक में दुश्मनों की डाल दी नकेल है,
देखो आ गया अब भारत में ‘राफेल’ है
संभल जाओ भारत के दिशाहीन गद्दारों,
इरादा आतंक फैलाने का,हो गया अब फेल है।

जश्न मना लो आजादी का,छू रहा आसमान तिरंगा,
गद्दारों ने मुँह की खाई है,हो जाएगा ‘कोरोना’ भी फेल है
सीमा पर खड़ा हिमालय,कल-कल करते झरने,
दे रहे गवाही,होने वाला ख़तम दुश्मनों का खेल है।

बढ़ गई धड़कनें देशद्रोही गद्दारों की,
दंगेबाजों को होने वाली जेल है
अब न सहेंगें धमकी एटम बम की,
क्योंकि,आ गया भारत में राफेल है।

ये देश है नानक,बुद्ध,गाँधी का,
विविध संस्कृति,धर्मों का यहाँ मेल है
बहती ज्ञान की गंगा,विज्ञान के चमत्कार यहाँ,
वेदों में अध्यात्म और विज्ञान का अद्भुत मेल है।

था समृद्ध अब तक धर्म संस्कृति से,
अब सशक्त सैन्य शक्ति आ गया राफेल है
शांति,सौहार्द का भारत के,विश्व ने लोहा माना है।
फिर भी आँख उठा के देखे दुश्मन,
आँख फोड़ कर देगा बेहाल,आ गया राफेल है…॥

परिचय–गीतांजली वार्ष्णेय का साहित्यिक उपनामगीतू` है। जन्म तारीख २९ अक्तूबर १९७३ और जन्म स्थान-हाथरस है। वर्तमान में आपका बसेरा बरेली(उत्तर प्रदेश) में स्थाई रूप से है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली गीतांजली वार्ष्णेय ने एम.ए.,बी.एड. सहित विशेष बी.टी.सी. की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में अध्यापन से जुड़ी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत महिला संगठन समूह का सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,कहानी तथा गीत है। ‘नर्मदा के रत्न’ एवं ‘साया’ सहित कईं सांझा संकलन में आपकी रचनाएँ आ चुकी हैं। इस क्षेत्र में आपको ५ सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। गीतू की उपलब्धि-शहीद रत्न प्राप्ति है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्यिक रुचि है। इनके पसंदीदा हिंदी लेखक-महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,कबीर, तथा मैथिलीशरण गुप्त हैं। लेखन में प्रेरणापुंज-पापा हैं। विशेषज्ञता-कविता(मुक्त) है। हिंदी के लिए विचार-“हिंदी भाषा हमारी पहचान है,हमें हिंदी बोलने पर गर्व होना चाहिए,किन्तु आज हम अपने बच्चों को हिंदी के बजाय इंग्लिश बोलने पर जोर देते हैं।”

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