मन के सपने

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)********************************************** पूरे होना मुश्किल मन के सपने,वायु वेग से बढ़ते मन के सपने। मन होता है मानो एक समुंदर,लाख वासना जिसके अंदर। एक पूर्ण हो बस दूसरी इच्छा,वृद्ध जवान चाहे हो बच्चा। जीवन जाता न सजते सपने,पूरे होना मुश्किल मन के सपने। मनमानी करता है जो मनवा,चले चाल मस्तानी जो … Read more

अलविदा हो रहा हूँ

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)************************************************* बीस के विष से क्षय होकर,अलविदा हो रहा हूँ मैं दो हजार बीसला रहा है नवीन सूरज,दो हजार इक्कीस,मेरी कुर्निशlदिया है आपको बहुत कष्ट,बहुत जन हुए हैं स्वजनहारारहे आप सब बहुत त्रास से,प्रार्थना मेरी,खुशी आए इक्कीस मेंlमुक्त हो विश्व महामारी से,वापस आए आनन्द उत्सव मेंघर-घर से आए हँसी का ठहाका,बेकारी बंद … Read more

चंचल मन

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)********************************************** चंचलता करें तांडव मन में,अशांति का रुख जीवन में। मगन हो रहा मन दीवाना,मन का है चलचित्र सुहाना। तन दिवस जो मन की माने,ढूंढे मन हर नए नए बहाने। चंचलता का आलम मन में,अशांति का रुख जीवन में। अपनी चीज न भाती जिसको,सोचत कार्य जो न ही बस को। … Read more

बहुत बोझ रहा हूँ

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************************** पपड़ी जमी़ जो जख्म़ पे वो नोंच रहा हूँ।तन्हा हूँ आज फिर से तुम्हें सोच रहा हूँl कैसे ख़याल हैं कि सिसकने लगे भीतर,खुद को ही खुद की बाँह में दबोच रहा हूँ। पत्थर की छाल रूह को ढक करके सो गई,कब से मैं अपनी साँस को खरोंच रहा हूँ। नजरें … Read more

कर्म का प्रतिफल

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)************************************************************ कर्म यदि देवता होता है-तो कर्म ही उनका अर्घ्य है,निःस्वार्थ कर्माजंलि के प्रतिफल मेंकर्मफल ही फलते हैं।कर्म की नहीं है कोई जात-पात-नहीं जरूरत है शिक्षा की,मन में होना चाहिए अपार इच्छासमाज को कुछ देने की।सहज नहीं है कर्म की पूजा-पहाड़ बन कर आएगी बाधा,चालू होगी प्रतिस्पर्धा,मुखर आलोचनाकंटकारी मार्ग से गुजरना होगा … Read more

असमंजस

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************************** इन बिखरे हुए अल्फ़ाज़ों को समेट लूँ,या चुप्पी का बेनाम हिस्सा बन जाने दूँ। इन बेगैरत पलों को सहेज लूँ,या यादों का जहाज बनके उड़ जाने दूँ। इन कदमों की बेचैनी को रोक लूँ,या ख्वाबों का एक हिस्सा इस दूरी को सौंप दूँ। इन नए अरमानों की बारिश में भीग लूँ,या … Read more

आत्म विश्लेषण

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************************** कितना सच ये कि,ये जो मैं हूँ,मेरा वजूद वो हैया है भी के नहीं ?जो दिखता है आईने में हू-ब-हू मेरे जैसा,छाया है मेरी या आईने के अंदर मैं हूँ ?ये दुनिया जो दिखती है इन नजरों से,वो है यहाँया प्रतिछाया है बस मेरे मन की ?क्यों कैद है ये दुनिया,चारदीवारी … Read more

झर रहे हैं अमृतबिंदु

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)***************************************** शरद पूर्णिमा स्पर्धा विशेष….. रास रचा है चन्द्रमा-शरद पूर्णिमा की रात में,झर रहे हैं अमृतबिंदुपूर्ण क्षीर कुम्भ से। मायाजाल-ज्योत्स्ना की-बिछा है जग में,उमंग जगी है तन-मन मेंशिशिर बिंदु के स्पर्श से। चन्द्रमा का अमृत सिंचन-पृथ्वी करे स्नान,चन्द्रमा,तेरे रूप सेनाचे मोहित समुद्र लहरों से। अमृत कुम्भ,समुद्र मंथन का-जिसकी रखवाली आप चन्द्रमा,शरद पूर्णिमा … Read more

सतर्क भारत,समृद्ध भारत

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************************** किसी भी राष्ट्र के निर्माण में प्रमुख महत्व वहाँ के लोगों के उत्साह एवं निष्ठा का ही होता है। राष्ट्र के लोग जब आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ अपने किसी लक्ष्य की ओर चल निकलते हैं,उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए समुचित साधनों,तकनीकों और व्यवस्थाओं आदि का सर्जन सहज ही … Read more

गुमनामी से भारत को उबारा

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************************** हर दिल में विकास की ललक जगाई किसने ?नीतियों को परिष्कृत करके संवारा किसने ?विश्व के मंच पर गुमसुम खड़े एक कोने में,गुमनामी से भारत को उबारा किसने ?काले धन वालों पर प्रभावी लगाम कसी किसने ?जी.एस.टी. सा कर सुधार लाया कौन ?विश्वभर में फैले समर्थ भारतीयों में,आत्मविश्वास,गौरवभाव जगा आया कौन … Read more