पुण्य प्रेम है इन रेशम के धागों में
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रक्षाबंधन विशेष….. प्रेम समाहित रहता हरदम ज्यों रोशनी चिरागों में,भ्रात-बहन का पुण्य प्रेम है इन रेशम के धागों में। कितना पावन नाता है ये बहन भ्रात के बंधन का,चौकी पर बैठा भाई को टीका करती चन्दन का।रेशम के दो तार बाँधते,हैं भाई को वचनों में,जीवनभर रक्षा करना ही,अर्थ है रक्षाबंधन का।भातृ … Read more