पुण्य प्रेम है इन रेशम के धागों में

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रक्षाबंधन विशेष….. प्रेम समाहित रहता हरदम ज्यों रोशनी चिरागों में,भ्रात-बहन का पुण्य प्रेम है इन रेशम के धागों में। कितना पावन नाता है ये बहन भ्रात के बंधन का,चौकी पर बैठा भाई को टीका करती चन्दन का।रेशम के दो तार बाँधते,हैं भाई को वचनों में,जीवनभर रक्षा करना ही,अर्थ है रक्षाबंधन का।भातृ … Read more

हर इक लम्हा याद आया

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** साथ तुम्हारे जो गुज़रा वो वक्त पुराना याद आया,जीवन के दुष्कर लम्हों में साथ निभाना याद आया। देख रहा धुँधली आँखों से गये समय की तस्वीरें,वो घूँघट की आड़ लिये तेरा मुस्काना याद आया। सोच में डूबे-डूबे जब‌ भी आँख मेरी भर आती थी,चुहल भरी बातों से वो मुझको बहलाना याद … Read more

पिता का प्रेम जैसा हमने पाया

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** ‘पिता का प्रेम, पसीना और हम’ स्पर्धा विशेष….. नमन करूँ हे पिता तुम्हें,मुझसे मुँह कैसे मोड़ लियास्वार्थ भरी इस दुनिया में,क्यों मुझे अकेला छोड़ दिया। कैसे जाऊँगा तुम बिन मैं,बस इतना तो सोचा होताहो गया अकेला दुनिया में,तुम छोड़ गऐ मुझको रोता। लाड़प्यार से बेटे को जब,तुमने गोद खिलाया थाघुटनों पर … Read more

सिपहसालार बनना है

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचनाशिल्प:क़ाफ़िया-आर,रदीफ़-बनना है;बहर-१२२२,१२२२,१२२२,१२२२ हमें अपने वतन का सच्चा पहरेदार बनना है।कटा दे एक पल में सर वही किरदार बनना है। सँभाले वार सीने पर अडिग चट्टान जैसे हो,हिमालय की तरह हमको वही गिरिनार बनना है। नहीं पाये कोई छूने ये माटी भारती माँ की,उड़ा दे शीश दुश्मन का वही तलवार बनना है। … Read more

योग महाशक्ति

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** दिन भर थका हुआ प्राणी घर आकर के विश्राम करे,तन को रखने स्वस्थ सदा भोजन सुबह और शाम करे।यही सही है दुनिया में तो जीवन है अनमोल बहुत,साँसें कायम रखने को फिर क्यों ना प्राणायाम करे ? योग करेगा सुबह-शाम वो सुख का जीवन पाएगा,अंदर से मज़बूत बने शत् वर्ष वो … Read more

जीवन का संबल ‘माँ’

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** माँ के आँचल की छाया में,पल कर ये तन बड़ा हुआ हैमाँ की उँगली पकड़-पकड़ के,इन पैरों पर खड़ा हुआ हैदेख-देख के अपने शिशु को,माँ वारी-वारी जाती हैकौली भर के माँ बच्चे को,निज सीने से लिपटाती है। प्यार बरसता है आँखों से,स्नेह सुधा बरसाती है माँले गोदी पल्लू से ढक कर,अमृत … Read more

धरा का कष्ट

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** है धरा कितनी दुखी इस बात को समझो जरा तुम,क्यों मुझे तकलीफ देते हो बताओ माजरा तुम। बोया है जितना जहर वो काटना होगा तुम्हें,खोद ली जीवन में खाई पाटना होगी तुम्हें।काट करके वृक्ष तुमने उम्र को छोटा किया है,पाट कर नदियों को तुमने काम ही खोटा किया है। काट कर … Read more

बस प्यार होना चाहिये

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचना शिल्प:क़ाफ़िया-आर,रदीफ़-होना चाहिये; बहर-२१२२,२१२२,२१२२,२१२ दुश्मनी को छोड़कर बस प्यार होना चाहिये,जो बहुत होता है कम इस बार होना चाहिये। हर दफ़ा ले आड़ होली पर निकालें दुश्मनी,इस दफा कोई नहीं तकरार होना चाहिये। सत्य का अरु धर्म का पालन जहां होता रहे,आज ऐसा अपना ये संसार होना चाहिये। आपसी कटुता को … Read more

जीवन और रंग का रिश्ता जन्म-जन्म का

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… फागुन मास बड़ा प्रिय लगता होती रंगों की बौछार,इक-दूजे को रंग लगाने से बढ़ता है द्विगुणित प्यार। भेदभाव अरु छुआछूत को आज भूल सब जाते हैं,छोटा-बड़ा नहीं है कोई,मिल कर खुशी मनाते हैं। काले पीले लाल गुलाबी रंग लिए गुब्बारों में,बच्चे रंग उड़ाते फिरते गाँव … Read more

सृजन की अद्भुत माया

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** सृष्टि सृजन किया ईश्वर ने,कैसी अद्भुत माया है,जल में थल अरु थल में जल माया संसार रचाया है। पर्वत श्रृँग कहीं रच डाले,नदियाँ जंगल अरु झरने,सबसे सुंदर सबसे प्यारा बस इंसान बनाया है। सुंदर-सुंदर पँछी सारे,मीठा गान करें नभ में,दिन औ” रात बनाए,तारों का बाज़ार लगाया है। मानव के जीवन खातिर … Read more