नेह नीर का प्यासा पंछी
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ******************************************************** (रचनाशिल्प:मात्रा भार १६+१४=३०) नेह नीर का प्यासा पंछीआँगन-आँगन डोल रहा,मिले चोंच भर नेह कहीं सेअपने बंधन खोल रहा। रहा भटकता दर-दर पर मैंअपने मन की प्यास लिए,प्यास कहीं तो बुझ जाएगीमन में ये विश्वास लिए।आकुल मन में आस लगाएसबका हृदय टटोल रहा।नेह नीर का प्यासा पंछी,आँगन-आँगन डोल रहा…ll तड़प रहा कितनी … Read more