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कुछ दीप अवश्य जला देना

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
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आओ सब मिल याद करें,
आजादी के परवानों को
खुद का ही बलिदान किया,
उन ऐसे सभी जियालों को।

सीमा पर लड़ते रहते थे,
हर मौसम की मार सही
होली-दीवाली भूल गए,
याद रही अपनी धरती।

ऐसे उन मतवालों को,
जो लिपट तिरंगे आते थे
जान आन पर देते पर,
अपना सिर नहीं झुकाते थेl

आज दिवाली का दिन है,
उनको भी याद जरा करना
भीगी आँखों से सबके लिए,
कुछ दीप अवश्य जला देना।

हम आज मनाएं दीवाली,
और खुशियां खूब मनाएंगेl
परिवार शहीदों के जाकर,
हम उनका दर्द बंटाएंगेll

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है।

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