बिटिया की मुस्कान

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* गगन मनाता खुशी धरा भी तो मुस्कायी है, घर भर में उल्लास हुआ है खुशियां छाई है। ले कांसी का थाल बजाया छत पर माई ने, धन्य-धन्य है भाग्य हमारे बिटिया आयी है। प्यारा-सा मुख छोटी आँखें लाल गुलाबी होंठ, उन होंठों पर प्यारी-सी मुस्कान सजायी है। इतनी खुशी … Read more

पुरुष और पुरुषत्व

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* जहां नारियां पूजी जाती, आज वहां कोहराम है क्यों ? कभी कलंकित हो ना नारी, लगता नहीं विराम है कर्मों ? बन बैठा है पुरुष दु:शासन, कृष्ण कहां पर चला गया ? बीच सड़क पर जलती नारी, ‘पुरुषत्व’ पुरुष का कहां गया। अपनी रक्षा खुद करने, नारी को स्वयं … Read more

समाज को जगाओ

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* समाज को जगाना है कुरीतियां भगाओ, दहेज के नाम पर यूँ बलि न चढ़ाओ। मारते हो कोख में ही अपनी बेटियों को, भ्रूण हत्या करके तुम पाप न कमाओ। संस्कार दो औलादों को कोई अच्छा काम करे, बुरी आदतों में पड़ कर माँ-बाप को न बदनाम करें। नयी चेतना … Read more

क्यों बदल जाता है आदमी

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* ऐ नर ये तेरी हिमाकत है, तू जो चाहे सो करता है डर नहीं है अपनी करनी का, बेमौत तभी तो मरता है। तू इतनी जल्दी बदल गया, नहीं बात समझ में ये आयी धन-दौलत,बीबी के चक्कर में, मानवता‌ सभी बेच खायी। अपनी उस माँ को भूल गया, जिस … Read more

उत्थान

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* करना हो उत्थान अगर जो, सत्पथ पर चलना होगा हाथ बुराई का पकड़ोगे, निश्चित वही पतन होगा। करना निज उत्थान तुम्हें तो, स्वाध्यायी हो मनन करो शुद्ध करो अपने अंतर को, दुर्भावों का हनन करो। शिक्षा लो उत्थान पतन की, अपने वेद-पुराणों से शिक्षा लो साहित्य जगत में, हुए … Read more

कैसे अंतर्मन की प्यास बुझाऊँ…

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* कैसे अपने अंतर्मन की प्यास मिटाऊं, अपने टूटे दिल को मैं कैसे समझाऊं। आग लगी है मुरझाये से पगले मन में, जलता है तन मन मैं कैसे कहो बुझाऊं। घाव बहुत गहरे अपनों ने दिये हैं मुझको, उठती है जो टीस कहो किसको दिखलाऊं। इतनी तो मेरे लेखन में … Read more

बच्चे का आक्रोश

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष……….. नही ताहिए धोले हाती मुदतो ललने दाना है, थीमा पल दातल बैली तो मुदतो थबत थिताना है। तुम मुदतो थोता ना थमदो बला हो दया हूँ अब मैं, दो बंदूत हात में मेले फिल दिथलाऊँ तैथा मैं। मुदतो तू दाने दे मैया अब तू … Read more

अत्याचार

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* शादी कर के लाये हो तुम क्यों करते हो अत्याचार, मात-पिता को छोड़ा मैंने छोड़ दिया सारा घर-बार। मैंने तो सोचा था जब मैं साजन के घर जाऊंगी, प्यार मिलेगा मुझको सबका दुनिया नयी बसाऊंगी। पर आकर ससुराल में मुझको ये कैसा उपहार मिला! प्यार के बदले साजन से … Read more

जानना होगा

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* भला क्या है बुरा क्या है, मुझे ये जानना होगा बुरी राहों पे चलने से भी, खुद को टालना होगा। सिखाती है हमें ये जिंदगी, जीने के तरीके सबक जीने का मुझको भी, इसी से सीखना होगा। गले मिलते हैं दुश्मन भी, मुखौटा पहन यारी का है कौन अपना … Read more

पेड़ बचाओ

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* जीना हो सुख से तो भाई पेड़ लगाओ, बच्चों जैसी कर रखवाली उन्हें बचाओ। बारिश भी होती है इन पेड़ों के दम से, हरी-भरी हो धरा यही अभियान चलाओ। मत काटो पेड़ों को ये हैं प्राण हमारे, जन्म से मृत्यु तक आते हैं काम तुम्हारे। जंगल और पर्वत पर … Read more