कलम,कागज,और कल्पना

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)**************************************** मेरे अधरों की मुस्कान बन गई हो तुम,काली,लाल,हो या नीलीदिल के कागज पर जब चलती हो,हर एहसास को छू कर रूह में उतरती हो।न जाने किस जन्म…

Comments Off on कलम,कागज,और कल्पना

अपनी ही रगों का खून माँगता है

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)************************************************** क्या कोई मजहब,लाशों की भीड़ माँगता है ?अपने ही बागों के गुलाबों की,मूर्छित तस्वीर माँगता है ?ये तो कुछ इन्सानों के मन में बैठा,एक दरिन्दा है।जो अपनी…

Comments Off on अपनी ही रगों का खून माँगता है

एक हकीकत जिन्दगी की

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)************************************************** दुनिया में अपनी जिन्दगी के फैसले,किसी और के हाथों में न सौंप देनासाहेब ये खुदगर्ज दुनिया है,यहाँ मतलब पूरा हो जाने परलोग साथ छोड़ जाते हैं,औरजिन्हें अपना…

Comments Off on एक हकीकत जिन्दगी की

बापू के नाम एक खत…

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)*************************************************** गांधी जयंती विशेष………….. बापू! मैं तुमको खत लिखती,पर पता मुझे मालूम नहीं।किस गाँव,नगर या शहर लिखूं,मैं कहां लिखूं ? मालूम नहीं। बापू! आपके तीनों बंदर,भूल गए हैं…

Comments Off on बापू के नाम एक खत…

द्वंद

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)******************************************************** मन के सागर में,हर पल उफनता एक तूफान-साविचारों और जज्बातों का द्वंद है।हर एक लहर में छुपा एक,भाव हजारों वेगों में लिपटमन के गलीचे में बंद है।कभी…

Comments Off on द्वंद

जागो मातृभूमि के बेटों

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)********************************************************** विश्व शांति दिवस स्पर्धा विशेष…… ऐ मातृभूमि के बेटों जागो,जागो,चलो उठा लो बोझ अपने कंधों परइस मातृभूमि की रक्षा मेंकर दो प्राण समर्पित।ऐ भारत माँ के लाल…

Comments Off on जागो मातृभूमि के बेटों

कठपुतली-सी औकात

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)********************************************************** वो जब आएगी एक दिन चुपचाप,खामोशियों का पहन लिबासरूह को जिस्म से कर आजाद,माटी को माटी में मिला जाएगी।मौत जब आएगी पलभर में,जीवन के मंच को झुठलाकठपुतली-सी…

Comments Off on कठपुतली-सी औकात

इंसनियत तो सब भेदों से परे

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)********************************************************** सत्य,अहिंसा,दया,करुणा,प्रेम,शान्ति,त्याग का वृक्ष है।जिस वृक्ष की शाखाएं इन फलोंसे लदी,वो ही हकीकत में इन्सान है।वरना तो चोला इन्सानों-सा पहन,दिल में दबा नफरत औऱ द्वेष की चाहफिरते हैं…

Comments Off on इंसनियत तो सब भेदों से परे

दर्द भी है,तरकीबें भी

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)********************************************************** दर्द भी है जिन्दगी में,तकलीफें भी हैंतकलीफों से लड़ जाने की,तरकीबें भी हैं। सख्त है अगर वक्त तो,उसकी वजह भी हैबह जाने दो आँसूओं को,कह जाने दो…

Comments Off on दर्द भी है,तरकीबें भी

पिंजरा

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)********************************************************** ये पिंजरा और पक्षी दोनों ही इंसान की जिंदगी से जुड़े हैं,कुछ ऐसा ही रिश्ता है इंसान का अपनी रिश्तों की डोर सेl तुम जितना रिश्तों को…

Comments Off on पिंजरा