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कठपुतली-सी औकात

कविता जयेश पनोत
ठाणे(महाराष्ट्र)
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वो जब आएगी एक दिन चुपचाप,
खामोशियों का पहन लिबास
रूह को जिस्म से कर आजाद,
माटी को माटी में मिला जाएगी।
मौत जब आएगी पलभर में,
जीवन के मंच को झुठला
कठपुतली-सी औकात इन्सा की,
एहसास ये दिला जाएगी।
टूट जाएँगे पल में वो बंधन भी,
जो छूट पाए न कभी स्वप्न में भी
ख्वाब बन जो याद आते रहे,
वो रिश्ते जिन्हें हम कभी
सात जन्मों के बंधनों का नाम दे,
दिल की गहराइयों में
अपनी स्वांसों से जोड़,निभाते रहे।
एक पल में सिमट जाएगी ये,
जज्बातों की रंगोली
और फिर उठ जाएगी,
चार कंधों पर अंतिम डोली।
छुपा कर रखे राज जो होंगे,
कुछ अधूरे एहसास भी होंगे
कुछ सुकूँ के पल होंगे,
अपने ही कर्मों की एक गठरी
साथ अपने जाएगी।
जब उठेगा धुँआ जिस्म के जलने पर,
महक गम की दिल अपनों के झुलसाएगी
आँसूओं की धार होगी,
कुछ चीखें,पुकार होगी।
चार दिन की ये जमावट होगी,
फिर तस्वीरों पर हार होंगे
आज की सुबह जैसे अब कल का,
पुराना अखबार होगी।
ये किस्से-कहानी नहीं है,
हक़ीक़त-ए-जिन्दगी है
और इन्सान के अहम को,
एक चुनौती है जो
जीवनभर टूट न पायाl
उस गुरुर को क्षण में,
खाक में मिला जाएगी
मौत जब आएगीll

परिचय-कविता जयेश पनोत का बसेरा महाराष्ट्र राज्य के मुम्बई स्थित खारकर अली रोड पर है। १ फरवरी १९८४ को क्षिप्रा (देवास-मप्र)में जन्मीं कविता का स्थाई निवास मुम्बई ही है। आपको हिन्दी,इंग्लिश, गुजराती सहित मालवी भाषा का ज्ञान भी है। जिला-ठाणे वासी कविता पनोत ने बीएससी (नर्सिंग-इंदौर,म.प्र.)की शिक्षा हासिल की है। आपका कार्य क्षेत्र-नर्स एवं नर्सिंग प्राध्यापक का रहा,जबकि वर्तमान में गृहिणी हैं। लेखन विधा-कविता एवं किसी भी विषय पर आलेखन है। १९९७ से लेखन में रत कविता पनोत की रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। फिलहाल स्वयं की किताब पर काम जारी है। श्रीमती पनोत के लेखन का उद्देश्य-इस रास्ते अपने-आपसे जुड़े रहना व हिन्दी साहित्य की सेवा करना है। इनकी दृष्टि में पसंदीदा हिन्दी लेखक,कोई एक नहीं, सब अपनी अलग विशेषता रखते हैं। लेखन से जन जागरूकता की पक्षधर कविता पनोत के देश और हिन्दी भाषा के प्रति विचार-
‘मैं भारत देश की बेटी हूँ,
हिन्दी मेरी राष्ट्र भाषा
हिन्दी मेरी मातृ भाषा,
हिन्द प्रचारक बन चलो,
कुछ सहयोग हम भी बाँटें।

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