मेरे पापा

रेणु झा ‘रेणुका’ राँची(झारखंड) ******************************************************************* पापा मैं आप-सी बनना चाहती हूँ, सबका भार उठाए पीड़ा अंदर दबाए, चेहरे पर मुस्कान सजाए सबकी इच्छा पूरी करते, खुद के लिए कहां सोचते इतनी उर्जा कहां से लाते हो पापा! मैं उसे जीना चाहती हूँ, पापा मैं आप-सी बनना चाहती हूँll छोटे-छोटे खर्चे बचाना पंखा,लाइट बुझाना, पुरानी चीजें … Read more

सजनी-सजना

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** सुनो सजनी जिंदगी तुम, तेरी खुशियों का साजन हूँ मेरी खुशबू इबादत तुम, गगन से तारे तोड़ लाऊँl बनूँ मैं मीत जीवन की, सजन मैं प्रीत गाऊँ गीत कशिश महफ़िल सजाऊँ मैं, अमर संगीत बन जाऊँ। तेरे नखरे चपल आँखें, तेरे नगमें नज़ाकत ये वफ़ा तेरी भींगी पलकें, … Read more

भारत खंडन को तुले

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** भोजन जल शिक्षा दवा,चाहिए सब निःशुल्क। वतन विमुख नेतागिरी,तोड़ो अपना मुल्क॥ चिथड़ों में लिपटे हुए,शीत ताप बरसात। लावारिस की जिंदगी,कोटि-कोटि दिन-रात॥ दिवास्वप्न शिक्षा यहाँ,भूख वसन बिन गेह। इनकी चिन्ता है किसे,मुफ़्तखोर बस ध्येय॥ धन कुबेर शिक्षा सुलभ,मुफ़्त मिला आवास। भोजन पानी सब मिले,चढ़े शान आकाश॥ राजनीति चौसर बने,अब … Read more

मैं माँ हूँ

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** माँ हूँ मैं ममता की मूरत, आओ गले लगाऊँ मैं दिया जन्म निज दूध पिला कर, जीवन पथिक बनाऊँ मैं। नेह सलिल स्नान कराकर, आचार वसन पहनाऊँ मैं नीति-रीति का लेप लगाकर, पूत गात्र चमकाऊँ मैं। बनूँ ढाल विघ्नों के पथ पर, वात्सल्य खड्ग अरि दमन करुँ श्रान्त … Read more

बाल दिवस हो खुशनुमा

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष……….. बाल दिवस पर आज हम,शुभाशीष दें बाल। निर्माणक जो देश के,सँवारें नौनिहाल॥ स्वस्थ रहें निज गात्र से,बने सतत मतिमान। पढ़ें लिखें विनयी बनें,हो सुपात्र इन्सान॥ सदाचार संस्कार पथ,यायावर नित लक्ष्य। सबल सफल धीरज बने, हो बच्चे संरक्ष्य॥ खेल कूद उन्मुक्त मन,निर्मल निच्छल भाव। … Read more

बधाईयाँ श्रीराम को

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** आज मुक्त हो राम लला,विजयी बन अधिराज। रामराज्य भारत बने,नव भारत आगाज़ll सच जीता संकल्प दृढ़,जीता कोशल राज। जय श्रीराम जयघोष से,अभिनंदित समाजll लौटी भारत अस्मिता,रामलला सम्मान। महाविजय भारत प्रजा,संघर्षी अरमानll पुलकित है माँ भारती,प्रमुदित जन मन देश। रामलला पा अयोध्या,धन्य हुआ अवधेशll आज विजय है न्याय का,सत्य … Read more

ख़ुद जीवन का रिपु मनुज

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** जीवन का रिपु मनुज,खड़े मौत आगाज। बिन मौसम छायी घटा,वायु प्रदूषित आजll भागमभागी जिंदगी,बढ़ते चाहत बोझ। सड़क सिसकती जिंदगी,वाहन बढ़ते रोज॥ चकाचौंध उद्यौगिकी,नभ में फैला धूम। जले पराली खेत में,मौत प्रदूषण चूम॥ चहुँदिक् है फैला तिमिर,भेद मिटा निशि रैन। नैन प्रदूषित जल रहा,सुप्त प्रशासन चैन॥ हृदय रोग बढ़ता … Read more

कल को बदलो आज में

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** यह कल देगा कल नहीं,अतः देखिये आज। यायावर सच कर्मपथ,बनो सुयश सरताज॥ सार्थवाह ख़ुद का बनो,नीति-प्रीति सम्मान। करो विवश तकदीर को,पूरा हो अरमान॥ कल को बदलो आज में,निर्माणक तकदीर। बनो नहीं मज़बूर कल,कीर्ति फलक तस्वीर॥ रखो आस्था कर्म पर,मिहनत नहीं विकल्प। श्रमित विजय उत्थान पथ,सुदृढ़ हो संकल्प॥ कवि … Read more

महके खुशियाँ वतन में

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** कवि ‘निकुंज’ शुभकामना,धनतेरस त्यौहार। तन मन गृह सुख सम्पदा,हो मंगल परिवार॥ आलोकित सदभाव से,अमन शान्ति नित गेह। मन विकार मानस मिटे,दीप जले नित स्नेह॥ मिटे सकल दुख आपदा,हो नीरोग उपवेश। राष्ट्र प्रगति हो चतुर्दिक,निर्भय संबल देश॥ सबजन शिक्षा हो सुलभ,दीप जले सद्ज्ञान। जले पाप आतंक का,दें सबको सम्मान॥ … Read more

चाह मिलन निशि रैन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** तन्वी श्यामा चन्द्रिका,नैन नशीली धार। बिम्बाधर अस्मित वदन,कशिश बनी तलवारll घायल कर अनुराग से,नज़र नुकीली नैन। मचकाती गजगामिनी,उभ नितम्ब हर चैनll उन्नत नित पीनस्तनी,उच्छल जलधि तरंग। अदा रूमानी खासियत,सँवरी तनु नवरंग॥ नैन प्रीति चितवन चपल,मधुरिम भाष सुभाष। गाल लाल किसलय समा,नवरस मन अभिलाषll प्रिय विरही वियोगिनी,बहे नैन रसधार। … Read more