कोई खिड़की खुल जाएगी
डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* ऊँची चाहे मीनार हो, सख्त बहुत दीवार हो अदम्य साहस गर तुझमें, नींव इमारत हिल जाएगी कोई खिड़की खुल जाएगी। धुंधला है चाहे आईना, करना साफ पर कब मना तेरे श्रम स्वेद से हे नर! तकदीर की धूल धूल जाएगी, कोई खिड़की खुल जाएगी। हाथ पर क्यों हाथ रखा, … Read more