कोई खिड़की खुल जाएगी

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* ऊँची चाहे मीनार हो, सख्त बहुत दीवार हो अदम्य साहस गर तुझमें, नींव इमारत हिल जाएगी कोई खिड़की खुल जाएगी। धुंधला है चाहे आईना, करना साफ पर कब मना तेरे श्रम स्वेद से हे नर! तकदीर की धूल धूल जाएगी, कोई खिड़की खुल जाएगी। हाथ पर क्यों हाथ रखा, … Read more

शहादत की फसल

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* जाने कितनी शहादत ने बोए घाटी में बीज, सत्तर साल से खून से सींच पत्थर गए पसीज फिर से लाली आई है भारत माँ के चेहरे पर, फिर से लगी मणि ज्यों भारत दूल्हे के सेहरे पर। कितनी विधवाओं को मानो सिंदूर मिला है, पुत्रहीन माताओं की गोद शिशु … Read more

आधुनिक जीवन में प्रेम का महत्व

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* जो अन्तर जड़ और चेतन में है,वही फर्क प्रेम और प्रेमविहीनता में है। प्रेमरहित मानव पाषाण तुल्य है। एक बात और..प्रेम तो पाषाण को भी प्राणवान बना देता है। कई बार पहाड़ों पर बनी पत्थरों की आकृति जो उभरती है तो लगता है कि पत्थर भी मुहब्बत करते हैं। … Read more

मैं मन हूँ

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* मैं मन हूँ विचारों का-भावों का, परिचायक हूँ खुशी का घावों का इच्छा,जीवन गति का जनक हूँ, मैं ही शांति हूँ-में ही भटक हूँ। मैं ही चेतन हूँ-अविनाशी हूँ, सब प्राणियों में मैं सर्वव्यापी हूँ मैं शाश्वत हूँ-न सोता-जागता हूँ, बस चलना मेरा काम-भागता हूँ। जो मुझे जान लेता … Read more

माँ गरीब नहीं होती

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… माँ की लोरी से बढ़कर दुनिया में गाना नहीं होता, नापे माँ के दिल की गहराई कोई पैमाना नहीं होताl जब आलीशान महलों में बेताबियां बढ़ जाती हैं, माँ की गोद-सा कोई जहां में आशियाना नहीं होताll कुरूप से कुरूप बच्चा माँ को खूबसूरत होता … Read more

नया साल आया है

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* माँ,आज तो नया साल आया है, पापा का दोस्त देखो खिलौने लाया है। जिनको तरसती थी निगाहें हमारी, अब फूली नहीं समाती मन की क्यारी, पापा का दोस्त नहीं,नया साल आया है॥ बरसात में भीग गई थी राजकुमार की किताब, रह गया था अधूरा पढ़ने का ख्वाब। देखो! डाकिया … Read more