एक स्वेटर
कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)**************************************** सुनो तुमकोरोना की इस आँधी में,जहाँ मौसम का नहीं ठिकाना।कभी आँसूओं की बारिश है,कभी अपनों से बिछोह की तपिश।कभी स्वांसों की शिथिलता,और ठिठुरनअनिश्चित है अब ज़िन्दगी का मौसम।सोचा क्या करूँ एकान्त में बैठ,कलम की सलाई,और कागज की डोरीबस हाथ में लिए हर क्षण,ख़यालों का एक स्वेटर बुन रही हूँ।और इस स्वेटर में … Read more