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खामोशियों की भी एक कहानी…

कविता जयेश पनोत
ठाणे(महाराष्ट्र)
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मेरी खामोशियों की भी एक कहानी है,
जो किताबों में भी ना सिमट पाई
ऐसा तरल वह,
नदियों का पानी है।
समेटूँ बैठ कर फुर्सत में उन पलों को तो,
आँखों से पानी बह जाता है
और चंद क्षणों में वह,
डायरी के श्वेत पृष्ठों को धुंधला कर जाता है।
हाथों में एक लहर उठती है ऐसी,
कलम की तटस्थता भी बिखर जाती है
और जब ख्याल आता है तो पाती हूँ,
हाथों से कलम भी गिर जाती है।
जो जुबां पर भी न लफ्ज़ बन पाई,
ऐसी भी एक तस्वीरे जिंदगानी है
हाँ,उम्मीद है एक दिन वक्त थमेगा,
जी लूंगी अपनी मधुशाला।
तब बैठ एकाकी शाला में,
मैं भी पी लूंगी अपने जीवन की मदिरा
और लिख जाऊंगी उन खामोश खयालों को,
जो अब तक दफ्न है सीने मेंl
उन भावों की तस्वीरों को,
कागज के कोरे पृष्ठों में
सजा पाऊंगी,
लफ्जों में उसे गुनगुना पाऊंगी।
मेरी खामोशियों की भी एक कहानी है,
अभी तो इन आँखों में गहराई है समुंदर-सी
जीवन की सघनता में भी,
उठती एकान्तता की पुरवाई है।
हाँ,मेरे इस मन-मंदिर में भी,
कई सपने हैं,सवाल भी
एक रहती मीरा दीवानी है…,
हाँ,मेरी खामोशियों की भी एक कहानी हैll

परिचय-कविता जयेश पनोत का बसेरा महाराष्ट्र राज्य के मुम्बई स्थित खारकर अली रोड पर है। १ फरवरी १९८४ को क्षिप्रा (देवास-मप्र)में जन्मीं कविता का स्थाई निवास मुम्बई ही है। आपको हिन्दी,इंग्लिश, गुजराती सहित मालवी भाषा का ज्ञान भी है। जिला-ठाणे वासी कविता पनोत ने बीएससी (नर्सिंग-इंदौर,म.प्र.)की शिक्षा हासिल की है। आपका कार्य क्षेत्र-नर्स एवं नर्सिंग प्राध्यापक का रहा,जबकि वर्तमान में गृहिणी हैं। लेखन विधा-कविता एवं किसी भी विषय पर आलेखन है। १९९७ से लेखन में रत कविता पनोत की रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। फिलहाल स्वयं की किताब पर काम जारी है। श्रीमती पनोत के लेखन का उद्देश्य-इस रास्ते अपने-आपसे जुड़े रहना व हिन्दी साहित्य की सेवा करना है। इनकी दृष्टि में पसंदीदा हिन्दी लेखक,कोई एक नहीं, सब अपनी अलग विशेषता रखते हैं। लेखन से जन जागरूकता की पक्षधर कविता पनोत के देश और हिन्दी भाषा के प्रति विचार-
‘मैं भारत देश की बेटी हूँ,
हिन्दी मेरी राष्ट्र भाषा
हिन्दी मेरी मातृ भाषा,
हिन्द प्रचारक बन चलो,
कुछ सहयोग हम भी बाँटें।

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